Maha Shivratri 2025: शिवलिंग की पूजा करें या भगवान शिव की मूर्ति?

Maha Shivratri 2025: महाशिवरात्रि आज यानि 26 फरवरी को मनाई जाएगी। इस पावन अवसर पर भक्तजन भगवान शिव की आराधना करते हैं, लेकिन कई बार यह प्रश्न उठता है कि शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए या भगवान शिव की मूर्ति की?

शिवलिंग पूजन अधिक शुभ क्यों माना जाता है?

शास्त्रों के अनुसार, शिवलिंग पूजा अधिक प्राचीन और शुभ मानी जाती है। यह भगवान शिव के निराकार स्वरूप और अनंत ब्रह्मांड का प्रतीक है।

  • पुराणों में उल्लेखशिव पुराण और स्कंद पुराण में शिवलिंग पूजन का विशेष महत्व बताया गया है।
  • ऊर्जा और सृजन का प्रतीक – शिवलिंग सृष्टि, पालन और संहार का द्योतक है।
  • जलाभिषेक का महत्व – महाशिवरात्रि पर जल, दूध, शहद, बेलपत्र, धतूरा आदि अर्पित करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं

शिवलिंग की पूजा विधि (Maha Shivratri 2025)

  1. गंगाजल या शुद्ध जल से शिवलिंग का स्नान कराएँ।
  2. पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर) से अभिषेक करें।
  3. बेलपत्र, धतूरा, भस्म, अक्षत और पुष्प अर्पित करें।
  4. ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें।
  5. आरती करें और भोग अर्पित करें।

क्या मूर्ति की पूजा भी की जा सकती है?

अगर घर या मंदिर में शिवलिंग नहीं है, तो भगवान शिव की मूर्ति की पूजा भी की जा सकती है। हालाँकि, मंदिरों में शिवलिंग पूजन अधिक प्रचलित है, लेकिन मूर्ति पूजन भी शास्त्रसम्मत और फलदायी माना जाता है।

निष्कर्ष

महाशिवरात्रि पर शिवलिंग और मूर्ति दोनों की पूजा की जा सकती है, लेकिन शिवलिंग की पूजा अधिक शुभ और प्राचीन परंपरा मानी गई है। भक्तजन श्रद्धा और भक्ति भाव से भगवान शिव की आराधना करें, यही सबसे महत्वपूर्ण बात है

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