महासमुंद: सरकारी भूमि मनोरमा इंडस्ट्री को दिए जाने पर बवाल, सैकड़ों ग्रामीणों ने जताया विरोध

महासमुंद। सरकारी भूमि को बिना पंचायत प्रस्ताव के मनोरमा इंडस्ट्री को दिए जाने की खबर से ग्राम पंचायत बिरकोनी के ग्रामीण भड़क उठे हैं। सैकड़ों ग्रामीण कलेक्टोरेट पहुंचे और कलेक्टर से मुलाकात कर अपनी आपत्ति दर्ज कराई।

चारागाह और श्मशान भूमि पर ग्रामीणों का आक्रोश

ग्रामीणों का कहना है कि चारागाह और श्मशान घाट की भूमि को उद्योग को देना उनके जीवन और परंपराओं पर सीधा आघात है। इससे पहले मनोरमा इंडस्ट्री ने 100 साल पुराने चुहरी तालाब को कृषि भूमि बताकर खरीदा था और शासन से स्टांप ड्यूटी में 58 लाख रुपये से ज्यादा की छूट भी ली थी।

किन खसरों पर विवाद

ग्रामीणों के अनुसार, ग्राम पंचायत बिरकोनी के औद्योगिक क्षेत्र से दूर खसरा नंबर 2435, 2436, 2619, 2620, 2616, 2614 कुल 3.48 हेक्टेयर भूमि शासन के मद में दर्ज है।
तहसीलदार न्यायालय ने 23 जुलाई को इन खसरों को जिला व्यापार एवं उद्योग विभाग महासमुंद को हस्तांतरण के लिए दावा-आपत्ति का इश्तहार जारी किया था। इसी की भनक लगते ही ग्रामीण कलेक्टोरेट पहुंच गए।

विकास और पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रस्तावित भूमि

ग्रामीणों का कहना है कि:

  • खसरा नंबर 2485 में चारागाह भूमि है।
  • खसरा नंबर 2620 में श्मशान भूमि दर्ज है।
  • उक्त भूमि पर जिला मॉडल गौठान के तहत रीपा प्रोजेक्ट चल रहा है।
  • खसरा नंबर 2435 पर मनरेगा के तहत चारागाह निर्माण भी हो चुका है, जो ग्रामीणों के निस्तारी का एकमात्र साधन है।

ग्रामीणों ने साफ कहा कि वे किसी भी हाल में मनोरमा इंडस्ट्री को यह भूमि नहीं देंगे। यह जमीन उनके निस्तारी और मुक्तिधाम के लिए है, और उद्योग को देने का फैसला अस्वीकार्य है।

कलेक्टर का बयान

कलेक्टर ने कहा कि इस मामले में आपत्ति प्राप्त हुई है। जांच के बाद ही आगे की कार्यवाही की जाएगी।

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