भिलाई स्थित मैत्रीबाग जू एक बार फिर सफेद बाघों की दहाड़ से गुलजार होने जा रहा है। जू प्रबंधन ने सफेद बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए तैयारियां तेज कर दी हैं। बाड़ा नंबर 7 में सफेद बाघों के युवा जोड़े विक्रम और बॉबी को एक साथ रखा गया है और दोनों में मेलजोल भी अच्छा नजर आ रहा है। इनकी उम्र करीब 3 साल है, और विशेषज्ञों को उम्मीद है कि यह जोड़ा जल्द ही प्रजनन के लिए पूरी तरह तैयार हो जाएगा।
बारिश में भी बना आकर्षण का केंद्र
हालांकि बारिश का मौसम आमतौर पर जू के लिए ऑफ सीजन माना जाता है, लेकिन विक्रम और बॉबी को देखने के लिए पर्यटकों की भीड़ लगातार बनी हुई है। दोनों बाघ केज के बाहर खुले बाड़े में घूमते नजर आते हैं, जिसे देखकर बच्चों से लेकर बड़ों तक हर किसी में उत्साह है।
फिलहाल 7 सफेद बाघ मौजूद
मैत्रीबाग में फिलहाल कुल 7 सफेद बाघ हैं, जिनमें 5 नर और 2 मादा शामिल हैं। जू अथॉरिटी ऑफ इंडिया से 1992 में ब्रीडिंग की मान्यता मिलने के बाद से यहां सफेद बाघों की संख्या बढ़ती गई है। अब इस नए जोड़े से सफेद बाघों की संख्या में और इजाफा होने की उम्मीद जताई जा रही है।
सफेद बाघों की अदला-बदली से देशभर में पहचान
मैत्रीबाग जू ने अब तक देश के 5 प्रमुख चिड़ियाघरों को 12 से अधिक सफेद बाघ दिए हैं। इनमें जवाहरलाल नेहरू जूलॉजिकल पार्क बोकारो, लखनऊ जूलॉजिकल गार्डन, राजकोट जू, इंदौर का इंदिरा गांधी प्राणी संग्रहालय और सतना का मुकुंदपुर जू शामिल हैं। यह सफेद बाघों के संरक्षण और प्रसार में मैत्रीबाग की बड़ी भूमिका को दर्शाता है।
1997 में नंदन-कानन से आए थे पहले बाघ
मैत्रीबाग को 1972 में स्थापित किया गया था, लेकिन सफेद बाघों का इतिहास 1997 से शुरू होता है जब भुवनेश्वर (ओडिशा) के नंदन-कानन जू से तापसी और तरुण नामक सफेद बाघों की जोड़ी लाई गई थी। इनसे जन्मी शावक राजकुमारी का जन्म 26 जुलाई 1998 को हुआ था और उसकी मृत्यु 23 जुलाई 2012 को हुई थी। इसके बाद 2011 और 2014 में भी तीन-तीन शावकों का जन्म हुआ, जिनकी खास देखरेख में परवरिश की गई।
अन्य चिड़ियाघरों को भी दिए वन्य प्राणी
सफेद बाघों के अलावा मैत्रीबाग ने विभिन्न चिड़ियाघरों के साथ वन्य जीवों का अदला-बदली कार्यक्रम भी चलाया है।
- 2008 में राउरकेला को पेलिकन के बदले भालू और बंदर लाए गए।
- 2009 में बोकारो जू को शेर देकर नीलगाय, काला हिरण और ईमू लाया गया।
- 2010-2012 के बीच नागपुर, जमशेदपुर, रायपुर, शोलापुर और तिरुपति जैसे शहरों को सांभर, पेलिकन और सफेद बाघ दिए गए, बदले में विभिन्न प्रजातियों के पक्षी और जानवर प्राप्त हुए।
- 2014 में राजकोट जू को सफेद बाघ देकर बदले में चीता मंगाया गया।
- लखनऊ जू को सफेद बाघ देने के बदले कई पशु-पक्षियों की डील हुई, जो अब तक पूरी नहीं हो सकी।
अब फिर से उम्मीदें बढ़ीं
अब एक बार फिर मैत्रीबाग ने सफेद बाघों की ब्रीडिंग को लेकर सक्रिय पहल शुरू कर दी है। विक्रम और बॉबी से उम्मीद है कि यह जोड़ा नए शावकों को जन्म देकर इस सफेद प्रजाति को संरक्षण देने के साथ-साथ मैत्रीबाग की शोभा और अधिक बढ़ाएगा।