रायपुर। राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल मेकाहारा सहित अन्य सरकारी संस्थानों में सफाई सेवाएं देने वाली “कॉल मी सर्विस” कंपनी एक बार फिर विवादों के घेरे में है। छत्तीसगढ़ प्रदेश स्वास्थ्य कर्मचारी संघ ने कंपनी पर महिला सफाई कर्मचारियों के मानसिक, आर्थिक और शारीरिक शोषण, फर्जी उपस्थिति, अवैध वसूली और अस्पताल परिसर में शराब सेवन जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं। संघ ने इन मामलों को लेकर राज्य सरकार को पत्र लिखते हुए त्वरित और सख्त कार्रवाई की मांग की है।
पत्रकारों से मारपीट के बाद भड़का विवाद
हाल ही में मेकाहारा अस्पताल में पत्रकारों के साथ कंपनी के कथित बाउंसरों द्वारा मारपीट और दुर्व्यवहार की घटना सामने आई थी। इसके बाद कर्मचारी संघ ने बयान जारी करते हुए कहा कि इन गतिविधियों को कंपनी के मालिक राजकुमार बोथरा के संरक्षण में अंजाम दिया जा रहा है। संघ का आरोप है कि शिकायतों के बावजूद अधिकारी चुप हैं और कंपनी को संरक्षण मिल रहा है।
गार्ड रूम बना शराबखोरी का अड्डा
स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के अनुसार अस्पताल परिसर का गार्ड रूम अब शराब सेवन का अड्डा बन गया है। विरोध करने पर कंपनी के गुंडे कर्मचारियों के साथ मारपीट करते हैं, जिससे अस्पताल का माहौल असुरक्षित बन गया है।
सरकारी पैसे की बर्बादी
संघ के सलाहकार ओपी शर्मा का दावा है कि कंपनी 30% फर्जी उपस्थिति दिखाकर राज्य सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान पहुँचा रही है। ठेका लेने के बाद कंपनी संचालन की जिम्मेदारी कथित बाउंसरों और सुपरवाइजरों को सौंप देती है, जो उपस्थिति में हेराफेरी करते हैं।
भर्ती और यूनिफॉर्म के नाम पर वसूली
कोविड काल के दौरान पुराने कर्मचारियों को हटाकर नए लोगों की भर्ती के नाम पर 40-40 हजार रुपये वसूले गए। यूनिफॉर्म देने के नाम पर भी 10-10 हजार रुपये तक की वसूली हुई। यह सिर्फ मेकाहारा तक सीमित नहीं है, बल्कि रायपुर एम्स, जिला अस्पताल पंडरी और दाऊद कल्याण सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल जैसे संस्थानों में भी ऐसी शिकायतें आई हैं।
महिला कर्मचारियों के साथ अशोभनीय व्यवहार
पत्र में यह भी उल्लेख है कि कंपनी के एक सुपरवाइजर पर अश्लील वीडियो बनाने और महिला कर्मचारियों के साथ दुर्व्यवहार के गंभीर आरोप हैं। तीन बार जेल जा चुका यह व्यक्ति अभी भी सेवा में बना हुआ है, जिससे कर्मचारियों में भय का माहौल है।
संघ की मांगें
स्वास्थ्य कर्मचारी संघ ने सरकार से मांग की है कि “कॉल मी सर्विस” को ब्लैकलिस्ट किया जाए, सभी सरकारी संस्थानों से ठेके तत्काल प्रभाव से समाप्त किए जाएं और इनकी जिम्मेदारी महिला स्व-सहायता समूहों को दी जाए। संघ का कहना है कि पारदर्शी और सुरक्षित अस्पताल वातावरण के लिए यह कदम आवश्यक है।
