रूसे जलाशय बना प्रवासी पक्षियों का आश्रय, 17 कॉमन क्रेन पहुंचे खैरागढ़

खैरागढ़। छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ जिले में स्थित रूसे जलाशय दशकों से प्रवासी पक्षियों और वन्यजीव प्रेमियों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। इस वर्ष भी यहां कॉमन क्रेन (Common Crane) प्रजाति के 17 पक्षी देखे गए हैं। हर साल इनकी बढ़ती उपस्थिति यह दर्शाती है कि रूसे जलाशय प्रवासी पक्षियों के लिए एक महत्वपूर्ण विश्राम स्थल बन रहा है।

कॉमन क्रेन की संख्या में उतार-चढ़ाव

2021 में प्रकृति शोध एवं संरक्षण सोसाइटी के अविनाश भोई और प्रतीक ठाकुर ने रूसे जलाशय में 21 कॉमन क्रेन देखे थे। 2022 में इनकी संख्या 19 थी, लेकिन एक पक्षी हाईटेंशन लाइन की चपेट में आने से मर गया। इसके बाद 2023 में केवल 8 कॉमन क्रेन ही देखे गए। हालांकि, इस साल इनकी संख्या फिर से बढ़कर 17 हो गई है, जिससे पक्षी प्रेमियों में उत्साह है।

क्यों खास है रूसे जलाशय?

कॉमन क्रेन साइबेरिया और मध्य एशिया जैसे ठंडे इलाकों से हर साल सर्दियों में प्रवास करते हैं और भारत में कुछ ही स्थानों पर दिखाई देते हैं। छत्तीसगढ़ में यह प्रजाति केवल खैरागढ़ के रूसे जलाशय में नियमित रूप से देखी जाती है। यहां की समान जलवायु परिस्थितियां (आइसो-क्लाइमेटिक कंडीशन) और प्रचुर मात्रा में उपलब्ध भोजन जैसे जलीय पौधे, छोटे कीट और मछलियां इन पक्षियों को अनुकूल वातावरण प्रदान करते हैं।

कॉमन क्रेन के अनोखे व्यवहार

  • ये पक्षी सामाजिक होते हैं और समूह में रहना पसंद करते हैं।
  • इनकी सामूहिक उड़ान वी-आकार में होती है, जिससे यह कम ऊर्जा में लंबी दूरी तय कर पाते हैं।
  • इनके प्रसिद्ध प्रजनन नृत्य (ब्रिडिंग डांस) को उनके मूल निवास स्थान पर देखा जा सकता है।

संरक्षण के लिए आवश्यक प्रयास

आर्निथोलॉजिस्ट डॉ. दानेश सिन्हा के अनुसार, कॉमन क्रेन के आगमन से न केवल स्थानीय लोग बल्कि पक्षी प्रेमी और पर्यटक भी उत्साहित हैं। हालांकि, वन विभाग ने आगंतुकों से जलाशय के आसपास शांति बनाए रखने और पक्षियों के प्राकृतिक व्यवहार में हस्तक्षेप न करने की अपील की है।

अन्य दुर्लभ प्रवासी पक्षी भी पहुंच रहे हैं

डीएफओ खैरागढ़ आलोक तिवारी ने बताया कि कॉमन क्रेन के अलावा यहां स्पूनबिल, पेंटेड स्टॉर्क और ब्लैक स्टॉर्क जैसे दुर्लभ प्रवासी पक्षी भी आते हैं। इनके अलावा हजारों की संख्या में पनडुब्बी कैवा (डाइविंग बर्ड्स) यहां पाई जाती हैं, जो पानी में डूबकर मछली पकड़ने की अद्भुत कला के लिए जानी जाती हैं।

खैरागढ़ को पक्षी पर्यटन में मिल सकती है पहचान

कॉमन क्रेन की बढ़ती उपस्थिति खैरागढ़ के लिए गर्व की बात है, लेकिन इस उपलब्धि को बनाए रखने के लिए संरक्षण प्रयास बेहद जरूरी हैं। जलाशय के आसपास अवैध शिकार पर रोक, प्रदूषण नियंत्रण और स्थानीय समुदाय की भागीदारी से इसे प्रवासी पक्षियों का स्थायी आश्रय स्थल बनाया जा सकता है। यदि सही संरक्षण उपाय अपनाए गए, तो आने वाले वर्षों में रूसे जलाशय न केवल कॉमन क्रेन बल्कि अन्य प्रवासी पक्षियों के लिए भी एक आदर्श ठिकाना बन सकता है, जिससे खैरागढ़ पक्षी पर्यटन के मानचित्र पर अपनी खास पहचान बना सकेगा।

You May Also Like

More From Author