मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 61 हजार नर्सिंग स्टूडेंट्स को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने कहा है कि डिप्लोमा कोर्स की परीक्षाओं और रिजल्ट पर कोई रोक नहीं लगाई गई है, इसलिए उसका रिजल्ट जारी करने के लिए सरकार अपने स्तर पर निर्णय ले सकती है।
यह फैसला उन छात्रों के लिए बड़ी राहत है, जिनका एग्जाम होने के बाद भी रिजल्ट अटका हुआ था। इन छात्रों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि उन्हें एग्जाम देने के बाद एक साल से अधिक का समय हो गया है, लेकिन अभी तक उनका रिजल्ट जारी नहीं किया गया है।
हाईकोर्ट के इस फैसले से इन छात्रों को अब जल्द ही अपना रिजल्ट मिल जाएगा। इससे उन्हें आगे की पढ़ाई और नौकरी के लिए आवेदन करने में आसानी होगी।
बता दें कि इस मामले की सुनवाई से पहले जस्टिस विशाल मिश्रा और फिर जस्टिस शील नागू ने खुद को अलग कर लिया था. इसके बादजस्टिस संजय द्विवेदी और जस्टिस अचल कुमार पालीवाल की डबल बेंच में मामले से जुड़ी 50 याचिकाओं की सुनवाई हुई.
याचिकाकर्ताओं ने बताया कि सीबीआई ने जो रिपोर्ट पेश की है, वह एमपी के सिर्फ 308 कॉलेज के संबंध में है, जबकि अब भी 396 नर्सिंग कॉलेज ऐसे हैं, जिनकी जांच सीबीआई ने नहीं की है. फैकल्टी डुप्लीकेसी और फैकल्टी फर्जीवाड़े के मामले में भी CBI ने कार्रवाई नहीं की है, जिस पर अदालत की ओर से CBI की रिपोर्ट को पढ़ने के बाद ही कोई निर्देश देने की बात कही गई.
हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया है कि वह इन छात्रों के रिजल्ट जारी करने के लिए एक समिति का गठन करे।