रायपुर। छत्तीसगढ़ में भारतमाला प्रोजेक्ट के मुआवजा वितरण में हुए घोटाले की जांच तेज हो गई है। आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) ने शुक्रवार सुबह राजधानी रायपुर समेत नया रायपुर, अभनपुर, दुर्ग-भिलाई और आरंग सहित राज्य के करीब 20 ठिकानों पर एक साथ छापे मारे हैं। यह कार्रवाई तत्कालीन अभनपुर SDM निर्भय साहू, तहसीलदार शशिकांत कुर्रे सहित करीब 17–20 अफसरों और कर्मचारियों के ठिकानों पर की गई।
220 करोड़ तक पहुंचा घोटाले का आंकड़ा
शुरुआती जांच में सामने आया था कि कुछ सरकारी अफसरों, भू-माफियाओं और प्रभावशाली लोगों ने आपसी मिलीभगत से फर्जी दस्तावेजों के जरिए लगभग 43 करोड़ रुपए का मुआवजा गबन किया है। विस्तृत जांच में यह आंकड़ा 220 करोड़ रुपए से ज्यादा तक पहुंच गया है। अब तक 164 करोड़ रुपए के संदिग्ध लेनदेन का रिकॉर्ड भी ईओडब्ल्यू के हाथ लग चुका है।
सीबीआई जांच की उठी मांग
इस गंभीर मामले को नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने विधानसभा बजट सत्र 2025 में उठाया था। इसके बाद उन्होंने 6 मार्च को प्रधानमंत्री कार्यालय और केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को पत्र लिखकर इसकी CBI जांच की मांग की थी। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इस प्रकरण को ईओडब्ल्यू को सौंपने का निर्णय लिया गया था।
क्या है भारतमाला परियोजना और कैसे हुआ घोटाला?
भारतमाला परियोजना के तहत रायपुर से विशाखापट्टनम तक 950 किलोमीटर लंबी सड़क बनाई जा रही है। इसमें रायपुर से विशाखापट्टनम तक फोरलेन और दुर्ग से आरंग तक सिक्स लेन सड़क निर्माण प्रस्तावित है। इसके लिए सरकार ने बड़ी संख्या में किसानों की जमीन अधिग्रहित की थी। जमीन अधिग्रहण के बदले किसानों को मुआवजा दिया जाना था, लेकिन घोटालेबाजों ने फर्जी दस्तावेजों और हेराफेरी से करोड़ों का मुआवजा हड़प लिया।
कई किसानों को अब तक नहीं मिला मुआवजा
इस घोटाले की मार उन असली किसानों पर पड़ी, जिन्हें आज तक मुआवजा नहीं मिल पाया है। विधानसभा में भी यह मामला जोर-शोर से उठा, जिसके बाद जांच की प्रक्रिया को गति दी गई।
क्या है भूमि अधिग्रहण का नियम?
भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 के तहत, यदि किसी हितग्राही की 5 लाख रुपये मूल्य की जमीन ली जाती है, तो उसे उसी मूल्य का सोलेशियम (अतिरिक्त मुआवजा) भी मिलता है। इस तरह कुल मिलाकर 10 लाख रुपये मिलते हैं। यदि विशेष परिस्थितियां हों, तो मुआवजा 20 लाख रुपये तक भी पहुंच सकता है।