बिलासपुर। मानसून के इस मौसम में प्रकृति का एक रहस्यमयी रूप बिलासपुर जिले के घानाकछार गांव में देखने को मिला है, जहां 45 वर्ष पुराने तालाब का लगभग सारा पानी अचानक एक बड़े गड्ढे में समा गया। यह घटना न केवल गांव वालों को हैरान कर रही है, बल्कि आसपास के इलाकों के लोग भी इसे दैवीय चमत्कार मानकर पूजा-अर्चना करने पहुंच रहे हैं।
85% पानी हुआ गायब, बचा सिर्फ 15%
यह रहस्यमयी घटना 14 जुलाई को तब सामने आई, जब कोटा विकासखण्ड के अंतर्गत आने वाले इस गांव के तालाब का पानी तेजी से घटने लगा। पहले तो ग्रामीणों को लगा कि यह सामान्य निकासी हो सकती है, लेकिन जैसे-जैसे जलस्तर कम होता गया, तालाब के एक किनारे पर एक विशाल गड्ढा नजर आया, जिसमें पूरा पानी समाता दिखा।
ग्रामीण राजेंद्र साहू ने सबसे पहले इस गड्ढे को देखा, जिसके बाद सरपंच साधराम चेचाम, कार्तिकराम, छोटेलाल साहू, राम, जयराम, संदीप यादव, तुलसीराम समेत कई लोग वहां पहुंचे और देखा कि केवल चार दिनों में तालाब का 85 प्रतिशत पानी रहस्यमय तरीके से गड्ढे में समा गया है।
पहली बार ऐसा चमत्कार, बोले सरपंच
गांव के सरपंच साधराम चेचाम ने बताया कि ऐसा दृश्य उन्होंने पहले कभी नहीं देखा। “यह तालाब 45 साल पुराना है, और कभी भी ऐसी घटना नहीं हुई थी। हमने उच्चाधिकारियों को इसकी सूचना दे दी है।”
ग्रामीणों ने शुरू की पूजा-अर्चना
घटना की जानकारी फैलते ही दूर-दराज के ग्रामीण भी इसे देखने के लिए पहुंचने लगे हैं। कई लोग इस रहस्यमयी गड्ढे को दैवीय शक्ति का संकेत मानकर धूप-दीप जलाकर पूजा-पाठ कर रहे हैं। ग्रामीणों का मानना है कि यह पताल लोक से जुड़ी घटना हो सकती है, इसलिए वे इसे श्रद्धा और भय दोनों के साथ देख रहे हैं।
क्या है वैज्ञानिक कारण?
हालांकि अभी तक प्रशासन या भू-वैज्ञानिक विशेषज्ञों की कोई आधिकारिक रिपोर्ट सामने नहीं आई है, लेकिन संभावना जताई जा रही है कि यह सिंखोल (Sinkhole) जैसी भौगोलिक घटना हो सकती है, जो ज़मीन के नीचे की परतों में दरार या धंसान के कारण होती है।