Shardiya Navratri 2024: मां कालरात्रि को समर्पित है शारदीय नवरात्रि का सातवां दिन, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Shardiya Navratri 2024: शारदीय नवरात्रि की सप्तमी, नवदुर्गा के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि को समर्पित होती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, मां कालरात्रि त्रीनेत्रधारी देवी हैं जिनका वर्ण काला है। उनके खुले हुए बाल और गले में मुंड की माला उनके भयंकर स्वरूप को प्रकट करते हैं। उनकी सवारी एक गर्दभ (गधा) है। ऐसा कहा जाता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से मां कालरात्रि की पूजा करता है, उसके जीवन से सभी तरह के भय और संकट समाप्त हो जाते हैं। मां कालरात्रि का आशीर्वाद प्राप्त करने से भक्त को मोक्ष की प्राप्ति होती है और वह जीवन में सुख-समृद्धि और शांति का अनुभव करता है।

शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

वैदिक पंचांग के अनुसार, इस वर्ष शारदीय नवरात्रि की सप्तमी के दिन मां कालरात्रि की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 11:45 बजे से लेकर दोपहर 12:30 बजे तक रहेगा। इस समय के दौरान मां कालरात्रि की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। पूजन विधि के अंतर्गत सबसे पहले मां के सामने घी का दीपक जलाना चाहिए और उन्हें लाल फूल अर्पित करने चाहिए। मां को गुड़ का भोग लगाना चाहिए और इसके बाद दुर्गा सप्तशती का पाठ या मां के मंत्रों का जाप करना चाहिए। पूजा के बाद गुड़ का आधा भाग अपने परिवार में बांटना चाहिए और शेष भाग किसी ब्राह्मण को दान कर देना चाहिए।

मां कालरात्रि की उत्पत्ति की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय तीनों लोकों में दैत्यों शुंभ, निशुंभ और रक्तबीज ने अत्याचार फैलाया हुआ था। उनके आतंक से सभी देवता परेशान होकर भगवान शिव के पास पहुंचे। शिवजी ने देवी पार्वती से इन दैत्यों का संहार कर भक्तों की रक्षा करने का आग्रह किया। पार्वती ने दुर्गा का रूप धारण कर शुंभ-निशुंभ का वध कर दिया, लेकिन जैसे ही उन्होंने रक्तबीज को मारा, उसके रक्त से लाखों और रक्तबीज उत्पन्न हो गए। तब मां दुर्गा ने अपने तेज से कालरात्रि का आवाहन किया। जब दुर्गा जी ने फिर से रक्तबीज को मारा, तो उसके रक्त को मां कालरात्रि ने अपने मुख में समेट लिया और इस प्रकार रक्तबीज का अंत हुआ।

शत्रुओं को शांत करने का उपाय

शारदीय नवरात्रि की सप्तमी पर यदि व्यक्ति अपने शत्रुओं से मुक्ति और शांति चाहता है, तो इसके लिए एक विशेष उपाय किया जाता है। इस दिन काले या लाल वस्त्र धारण करके रात के समय मां कालरात्रि की पूजा करनी चाहिए। मां के सामने दीपक जलाएं और उन्हें गुड़ का भोग लगाएं। इसके बाद 108 बार नवार्ण मंत्र “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे” का जाप करते हुए एक-एक लौंग चढ़ाते जाएं। जब 108 लौंग इकट्ठी हो जाएं, तो उन्हें अग्नि में समर्पित कर दें। इस उपाय से विरोधी और शत्रु शांत हो जाते हैं, और व्यक्ति को जीवन में विजय प्राप्त होती है।

मां कालरात्रि की पूजा न केवल भक्तों को भय से मुक्ति देती है, बल्कि उनके जीवन के सभी प्रकार के संकटों का भी नाश करती है। इस नवरात्रि की सप्तमी पर मां कालरात्रि की पूजा करना अत्यधिक फलदायी माना जाता है, जिससे भक्तों को सुख-समृद्धि, शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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