जगदलपुर। बस्तर में सुरक्षाबलों के लगातार ऑपरेशनों के बावजूद नक्सलियों पर निर्णायक बढ़त नहीं मिल पा रही है। नक्सल प्रभावित इलाकों में पुलिस की घेराबंदी के बाद भी नक्सली फरार हो जा रहे हैं, जिससे ऑपरेशनों की गोपनीयता पर सवाल उठ रहे हैं।
शुरुआती जांच में जो तथ्य सामने आए हैं, वह चौंकाने वाले हैं। दरअसल, ऑपरेशनों में तैनात जवानों की सोशल मीडिया गतिविधियां—रील्स बनाना, ग्रुप फोटोज और वीडियो शूटिंग—नक्सलियों तक पुलिस की रणनीति पहुंचने का बड़ा कारण बन रही हैं।
सोशल मीडिया बना सुरक्षा में सेंध
आईजी बस्तर सुंदरराज पी ने खुद स्वीकार किया है कि सोशल मीडिया पर जवानों की सक्रियता अब सुरक्षा के लिए खतरा बन रही है। उन्होंने स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं कि ऑपरेशन के दौरान वीडियो या फोटो पोस्ट करने वाले सभी सोशल मीडिया अकाउंट्स की पहचान की जाए और उन्हें तत्काल बैन किया जाए।
ऑपरेशन प्रोटोकॉल का उल्लंघन
आईजी के मुताबिक, कई मौकों पर मुठभेड़ के दौरान ही जवान वीडियो रिकॉर्डिंग कर रहे थे, जो ऑपरेशन प्रोटोकॉल का गंभीर उल्लंघन है और पूरी टीम की सुरक्षा को खतरे में डाल सकता है। इस तरह की लापरवाही पर अब कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
तकनीक-savvy हो रहे नक्सली
हालांकि बसवराजू जैसे शीर्ष नक्सली की मौत हो चुकी है, लेकिन इसके बावजूद नक्सलियों की तकनीकी और खुफिया सक्रियता में कोई कमी नहीं आई है। उनके लगातार जारी हो रहे प्रेस नोट्स इस बात की पुष्टि करते हैं कि वे पुलिस की रणनीति पर पैनी नजर रखे हुए हैं। इसके साथ ही मुखबिरी करने वाले ग्रामीणों को भी वे लगातार निशाना बना रहे हैं।
सात में सिर्फ दो ऑपरेशन सफल
पुलिस सूत्रों के अनुसार, बीते दो महीनों में 7 से अधिक बड़े ऑपरेशन चलाए गए, लेकिन इनमें से केवल दो ही पूरी तरह सफल हो पाए। सबसे उल्लेखनीय ऑपरेशन नारायणपुर में महाराष्ट्र सीमा पर हुआ, जिसमें दो दिन तक पहाड़ों और जंगलों में पीछा करने के बाद छह नक्सलियों को ढेर किया गया।