पथरिया। ग्राम पंचायत कंचनपुर में वन विभाग की लापरवाही और आवारा कुत्तों के बढ़ते आतंक के कारण एक नर चीतल की दर्दनाक मौत हो गई। शुक्रवार सुबह पानी की तलाश में गांव की ओर आया चीतल आवारा कुत्तों के झुंड का शिकार बन गया। कुत्तों के हमले से बचने की कोशिश में वह खेत में लगे कटीले तार में फंस गया और घायल हो गया। इसके बाद कुत्तों ने उस पर हमला कर दिया। हालांकि, ग्रामीणों ने बड़ी मुश्किल से उसे बचाया, लेकिन समय पर इलाज न मिलने के कारण चीतल की हार्ट अटैक से मौके पर ही मौत हो गई।
वरिष्ठ पशु चिकित्सक डॉ. एस.एम. पांडेय ने बताया कि मृत चीतल की उम्र लगभग पांच वर्ष थी और उसकी मृत्यु भय और हमले के कारण हृदयघात से हुई है।
डियर पार्क योजना बनी मजाक
ग्रामीणों का कहना है कि यह पहली बार नहीं है जब हिरन आवारा कुत्तों का शिकार बने हों। पिछले 10–12 वर्षों से वन विभाग को इस प्रकार के मामलों की जानकारी दी जाती रही है, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। 2022 में बगबुड़वा और पुछेली में डियर पार्क बनाने की योजना बनाई गई थी, लेकिन यह योजना अब तक कागजों में ही सीमित रही है।
जलवायु परिवर्तन और पानी की कमी से जंगली जानवरों के लिए खतरा
प्राकृतिक जल स्रोतों की कमी के कारण हिरन जैसे वन्यजीव खुले क्षेत्रों और गांव की ओर आने को मजबूर हो रहे हैं, जिससे वे शिकार का शिकार बन रहे हैं। ग्रामीणों के अनुसार, क्षेत्र में सैकड़ों चीतल विचरण करते हैं, लेकिन वन विभाग को इनके बारे में न तो पूरी जानकारी है और न ही वह कोई सर्वे करता है।
ग्रामीणों की मांग: वन्यजीव सुरक्षा और जिम्मेदारी तय करने की ज़रूरत
ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन से मांग की है कि क्षेत्र में वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए त्वरित कार्रवाई की जाए और डियर पार्क जैसी योजनाओं को जल्द से जल्द अमल में लाया जाए। इसके अलावा, वन विभाग की निष्क्रियता और रेंजर की अनुपस्थिति पर भी सवाल उठाए गए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें यह तक नहीं पता कि रेंजर कौन है और न ही वह कभी क्षेत्र का दौरा करते हैं।
पूर्व जिला पंचायत सदस्य वलीउल्ला शेख ने भी वन विभाग की लापरवाही पर नाराजगी जताते हुए कहा कि अगर स्थिति नहीं सुधरी, तो आने वाले समय में यह क्षेत्र चीतलविहीन हो सकता है।