कोरिया जिले के सोनहत विकासखंड से सटे गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व क्षेत्र से खुशखबरी सामने आई है। यहां भलुआर के जंगल में एक बाघिन ने दो शावकों को जन्म दिया है। यह स्थान नेशनल पार्क और सोनहत रेंज की सीमा पर स्थित है।
सूचना मिलने पर सोनहत रेंजर अजीत सिंह अपनी टीम और ग्रामीणों के साथ मौके पर पहुंचे, लेकिन तब तक बाघिन शावकों को लेकर किसी अन्य स्थान पर जा चुकी थी। उल्लेखनीय बात यह रही कि इस घटनाक्रम की जानकारी पार्क के परिक्षेत्र अधिकारी और कार्यालय को भी पहले से नहीं थी।
यह जानकारी ग्रामीण संदीप सिंह ने दी, जिसने खेत से लौटते वक्त जंगल में दो शावकों को देखा और तस्वीर भी ली, लेकिन डर के कारण पहले किसी को नहीं बताया। शुक्रवार को उसने यह बात वन विभाग को बताई, जिसके बाद अधिकारी दल-बल के साथ पहुंचे। हालांकि बारिश के कारण पंजों के निशान भी मिट गए थे, और बाघिन अपने शावकों के साथ वहां नहीं मिली। आसपास के गांवों के लोगों से भी पूछताछ की गई, जिन्होंने शावकों के साथ बाघिन को देखने की पुष्टि की।
वन परिक्षेत्र अधिकारी अजीत सिंह ने ग्रामीणों को जंगल से दूरी बनाए रखने और किसी भी जानकारी को तुरंत वन विभाग को देने की अपील की है।
सूत्रों के अनुसार, जहां शावकों को देखा गया वह स्थान नेशनल पार्क क्षेत्र से महज 100 मीटर की दूरी पर है, इसलिए ऐसा अनुमान है कि बाघिन अब नेशनल पार्क के भीतर चली गई होगी।
यह खबर क्षेत्रवासियों और वन विभाग के लिए बड़ी राहत और खुशी लेकर आई है। लंबे समय से रिजर्व क्षेत्र में सिर्फ शिकार और अनियमितताओं की खबरें मिल रही थीं। इससे पहले दो बाघों की मौत की खबरें भी चर्चा में रही थीं। ऐसे में यह जन्म की खबर उम्मीद की किरण बनकर आई है।
ज्ञात हो कि छत्तीसगढ़ के गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान और तैमोर पिंगला अभयारण्य को मिलाकर वर्ष 2023 में गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व घोषित किया गया था। इसका कोर क्षेत्र 2,049 वर्ग किलोमीटर और बफर जोन 780 वर्ग किलोमीटर में फैला है, जिससे यह देश का 56वां और तीसरा सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व बन गया है। पहले इसे संजय राष्ट्रीय उद्यान के नाम से जाना जाता था, जो मध्यप्रदेश के विभाजन के बाद छत्तीसगढ़ में शामिल हुआ और अब इसे टाइगर रिजर्व का दर्जा मिल चुका है।