रायपुर। छत्तीसगढ़ के चर्चित भारतमाला प्रोजेक्ट घोटाले में बड़ा खुलासा हुआ है। ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो) ने इस मामले में अभनपुर तहसील क्षेत्र के कई तत्कालीन अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ केस दर्ज किया है। लेकिन इन प्रमुख आरोपियों के फरार होने से जांच की रफ्तार थमी हुई है।
ये हैं घोटाले के फरार मुख्य आरोपी
इस मामले में तत्कालीन एसडीएम निर्भय साहू, तहसीलदार शशिकांत कर्रे, राजस्व निरीक्षक रोशनलाल वर्मा, पटवारी दिनेश पटेल, नायब तहसीलदार लखेश्वर प्रसाद किरण, पटवारी जीतेंद्र लहरे, बसंती घृतलहरे, लेखराम पटेल के खिलाफ केस दर्ज है। इन सभी की गिरफ्तारी न होने से जांच में रुकावट बनी हुई है।
अब तक चार गिरफ्तारियां, लेकिन जांच अधूरी
ईओडब्ल्यू ने अब तक हरमीत सलूजा, उमा तिवारी, केदार तिवारी और विजय जैन को गिरफ्तार किया है। इनसे पूछताछ में कई अहम जानकारियां मिली हैं, लेकिन घोटाले की जड़ तक पहुंचना अभी बाकी है। माना जा रहा है कि जब तक फरार अधिकारी गिरफ्तार नहीं होंगे, घोटाले का पूरा सच सामने नहीं आएगा।
NHAI अधिकारी भी संदेह के घेरे में
प्रोजेक्ट का नक्शा एनएचएआई द्वारा तैयार किया गया था। यदि अधिसूचना जारी होने से पहले यह नक्शा लीक हुआ, तो इसमें एनएचएआई के कुछ अफसरों की मिलीभगत से भी इनकार नहीं किया जा सकता। सवाल उठ रहा है कि क्या नक्शा लीक हुआ या जानबूझकर कराया गया?
जमीन बंटवारे में हेराफेरी
जांच में सामने आया है कि अधिसूचना के बाद बैकडेट में जमीन को छोटे-छोटे टुकड़ों में बांटकर, उसे किसानों के रिश्तेदारों के नाम पर दर्ज किया गया ताकि मुआवजा की राशि कई गुना बढ़ाई जा सके। कुछ मामलों में जमीन का टुकड़ा अधिसूचना से पहले ही कर दिया गया था, जिससे यह संदेह गहराता है कि नक्शा पहले से ही लीक हो चुका था।
किसानों की भी मिलीभगत
घोटाले में सिर्फ अधिकारी ही नहीं, कुछ किसानों की भूमिका भी संदिग्ध मानी जा रही है। उनके खातों में करोड़ों की मुआवजा राशि आई, जो बाद में पूरी तरह निकाल ली गई। इन पैसों को किसने और कैसे निकाला, इसकी जांच जारी है।
14 नए संदिग्ध रडार पर
गिरफ्तार लोगों से पूछताछ के बाद 14 नए संदिग्धों के नाम सामने आए हैं। ये ज़मीन दलाल, पटवारी, आरआई और कुछ अन्य सरकारी कर्मचारी हैं, जो जगदलपुर, गरियाबंद और धमतरी जिलों से हैं। ईओडब्ल्यू इन्हें जल्द ही पूछताछ के लिए तलब कर सकती है।
घोटाले की राशि बढ़ने की आशंका
फिलहाल यह घोटाला 48 करोड़ रुपए का बताया जा रहा है, लेकिन अन्य जिलों में भी इसी पैटर्न पर हेराफेरी हुई तो घोटाले की राशि कई गुना बढ़ सकती है।
एक ही पैटर्न पर हुई गड़बड़ी
रायपुर में जो तरीका अपनाया गया — जमीन दलालों और राजस्व विभाग के अफसरों की मिलीभगत से — वही पैटर्न अन्य जिलों में भी दोहराए जाने की आशंका है। इसीलिए जांच का दायरा अब और बढ़ाया जा रहा है।