खंडवा। देशभर में इन दिनों डिजिटल अरेस्ट के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। ऑनलाइन ठगों द्वारा लोगों को फर्जी आईपीएस और सीबीआई अफसर बनकर शिकार बनाया जा रहा है, जिनसे झूठे आरोपों में फंसा कर पैसे ट्रांसफर कराए जाते हैं। ऐसा ही एक मामला खंडवा में सामने आया है, जहां मेडिकल कॉलेज की नर्स कंचन उइके को 21 घंटों तक डिजिटल अरेस्ट किया गया। इस दौरान न उन्हें वॉशरूम जाने की अनुमति दी गई, न ही खाने और पानी का कोई प्रबंध किया गया। लगभग 1260 मिनट तक नर्स को इस डिजिटल प्रताड़ना से गुजरना पड़ा।
कंचन उइके को महाराष्ट्र क्राइम ब्रांच के नाम से एक फर्जी कॉल आया। ठगों ने उन्हें धमकाया कि उनका नाम ड्रग्स सप्लाई में तस्कर से जुड़ चुका है और आरोपियों ने वीडियो कॉल के जरिए उन्हें बंधक बना लिया। ठगों ने उन्हें पानी पीने के लिए भी मोबाइल से उठने की अनुमति नहीं दी और हर कॉल का स्क्रीन शेयर करने का निर्देश दिया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई रिकॉर्डिंग नहीं हो रही है।
ठगों ने नर्स से कहा कि उनका आधार कार्ड अवैध सामान में इस्तेमाल किया गया है और वह उनके खिलाफ कार्रवाई करेंगे। फिर ऑनलाइन स्टेटमेंट के नाम पर डिजिटल अरेस्ट कर लिया गया। पुलिस अधिकारी के रूप में एक ठग ने उनसे पूछताछ शुरू की और धमकी दी कि अगर उन्होंने कुछ किया या किसी को बताया तो उनके परिवार को भी गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
मकान मालिक और परिचित जब लगातार दरवाजा पीटने लगे, तो कंचन उइके ने हिम्मत की और मोबाइल से उठकर दरवाजा खोला। उन्होंने अपने परिचितों और मकान मालिक को पूरी घटना बताई और फिर परिवार के सदस्य मामले की शिकायत करने एसपी कार्यालय पहुंचे। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है।
खंडवा एसपी मनोज कुमार राय ने बताया कि पुलिस कभी भी डिजिटल अरेस्ट नहीं करती है। ऐसे फर्जी फोन कॉल्स पूरी तरह से धोखाधड़ी हैं। उन्होंने आम जनता से अपील की है कि इस तरह की घटनाओं से सतर्क रहें और तुरंत नजदीकी पुलिस स्टेशन या साइबर सेल में शिकायत करें।
देश में साइबर क्राइम के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने मन की बात कार्यक्रम में लोगों को इस तरह के फर्जी धोखाधड़ी से सतर्क रहने की सलाह दी है।