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तेंदूपत्ता घोटाला : ओडिशा से छत्तीसगढ़ लाया जा रहा 110 बोरा तेंदूपत्ता जब्त, बड़ा सिंडिकेट सक्रिय

गरियाबंद। छत्तीसगढ़-ओडिशा सीमा पर तेंदूपत्ता तस्करी का बड़ा मामला सामने आया है। कालाहांडी के धर्मगढ़ रेंज में शुक्रवार रात ग्रामीणों की सतर्कता से ओडिशा से छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती फड़ों में खपाने लाए जा रहे 110 बोरा सूखे तेंदूपत्ता से लदा मेटाडोर जब्त किया गया। वाहन में कोई वैध दस्तावेज नहीं था और चालक मौके से फरार हो गया, जबकि हेल्पर को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है।

सरकारी तंत्र को लगती भारी चपत
जप्त पत्ता अगर छत्तीसगढ़ के संग्राहकों के नाम पर फड़ में खपा दिया जाता, तो सरकार को लगभग 4.95 लाख रुपए का भुगतान करना पड़ता, जबकि इसकी वास्तविक कीमत ओडिशा में महज 1 से 1.25 लाख के बीच आंकी गई थी। यानी एक पत्ते की कीमत कई गुना बढ़ाकर सरकार को चूना लगाने की कोशिश हो रही थी।

बड़ा सिंडिकेट, बोगस खरीदी का खेल
मामले की जांच में यह बात भी सामने आई है कि तेंदूपत्ता की एंट्री पहले से ही संग्राहकों के खाते में “खरीदी दिखाकर” कर दी गई थी। जांच के दौरान मेटाडोर से पीपलझापर ग्राम पंचायत का प्रस्ताव पत्र मिला, जिसमें पंचायत की सर्वसम्मति से तेंदूपत्ता को देवभोग रेंज में ले जाने का उल्लेख था। हालांकि, अब तक स्पष्ट नहीं हो पाया है कि पत्ता किसके द्वारा और कहां ले जाया जा रहा था।

देवभोग रेंज की भूमिका संदेह के घेरे में
हैरानी की बात यह रही कि घटना के 20 घंटे बाद तक देवभोग रेंज के अधिकारियों को कोई जानकारी नहीं थी, जबकि मामला सीधा उनके क्षेत्र से जुड़ा हुआ है। सूत्रों का दावा है कि स्थानीय लघु वनोपज संस्थानों के कुछ बड़े अधिकारी और बिचौलियों की मिलीभगत से यह खेल चल रहा है।

वन विभाग की प्रतिक्रिया
डीएफओ लक्ष्मण सिंह ने कहा कि कार्रवाई की अभी तक कोई लिखित सूचना प्राप्त नहीं हुई है। यदि पत्तों की सप्लाई का संबंध उनके क्षेत्र से पाया गया, तो उचित कार्रवाई की जाएगी।

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