रायपुर। गर्मी के मौसम में बिजली लोड बढ़ने से ट्रांसफार्मरों में आग लगने का खतरा बना रहता है। कई बार ये ट्रांसफार्मर लोगों के घरों के ठीक सामने लगे होते हैं, जिससे परिवारों की सुरक्षा पर भी संकट मंडराने लगता है। लेकिन ऐसे ट्रांसफार्मरों को हटवाना आम लोगों के लिए मुश्किल साबित हो रहा है, क्योंकि बिजली कंपनी इस पर डेढ़ लाख रुपये तक का खर्च मांग रही है।
जबकि मुख्यमंत्री शहरी विद्युतीकरण योजना के तहत ट्रांसफार्मरों को निशुल्क शिफ्ट करने का स्पष्ट प्रावधान है। इसके बावजूद आवेदन करने वालों को राहत नहीं मिल रही। बीते दो वर्षों में 50 से अधिक आवेदन निगम में जमा हुए, लेकिन उनमें से सिर्फ 15 को ही समिति के सामने भेजा गया। इनमें से ज्यादातर आवेदन राजनीतिक सिफारिशों पर ही आगे बढ़े।
बिल मांगने पर लौट रहे आवेदनकर्ता
कई पीड़ितों ने बताया कि उन्होंने निगम में आवेदन किया, सर्वे के बाद बिजली विभाग ने 1.5 लाख रुपये का बिल थमा दिया। ऐसे ट्रांसफार्मर अधिकतर पुराने मोहल्लों और बस्तियों में लगे हैं, जहां रहने वाले लोग आर्थिक रूप से इतने सक्षम नहीं कि वे इतना भारी खर्च उठा सकें। इस कारण वे बार-बार निगम कार्यालयों के चक्कर काटने को मजबूर हैं।
इन इलाकों में ज्यादा दिक्कत
राजधानी रायपुर के कुशालपुर, प्रोफेसर कॉलोनी, पुरानी बस्ती, खोखोपारा, गुढ़ियारी, बजरंग नगर, लाखेनगर, आमापारा, कुकरीपारा, बांसटाल, शास्त्री बाजार और बैजनाथपारा जैसे इलाकों में यह समस्या अधिक देखी जा रही है।
समिति की प्रक्रिया में भी पारदर्शिता की कमी
राज्य सरकार द्वारा बनाई गई समिति, जिसकी अध्यक्षता कलेक्टर करते हैं, हर महीने बैठक करती है। इसमें निगम कमिश्नर, टाउन प्लानिंग, पीडब्ल्यूडी, कलेक्टोरेट और बिजली विभाग के अधिकारी शामिल होते हैं। आवेदनों को निगम से भेजा जाता है, लेकिन समिति अधिकतर उन्हीं मामलों को स्वीकृति देती है जिनसे “कई लोग प्रभावित” होते हैं। व्यक्तिगत आवेदनों पर कम ही ध्यान दिया जाता है।