बस्तर में मृतक के नाम पर चल रहा अस्पताल! कांग्रेस-भाजपा आमने-सामने, PCC चीफ बोले- सरकार डेड है

जगदलपुर। बस्तर जिले के दलपत सागर वार्ड स्थित मां दंतेश्वरी ट्रामा एंड क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल एक बार फिर विवादों के घेरे में है। इस बार आरोप बेहद गंभीर हैं—कहा जा रहा है कि यह अस्पताल एक मृत व्यक्ति के नाम पर अवैध रूप से संचालित किया जा रहा है। इस खुलासे के बाद न सिर्फ प्रशासन सवालों के घेरे में है, बल्कि यह मामला अब पूरी तरह राजनीतिक रंग भी ले चुका है। कांग्रेस और भाजपा आमने-सामने आ गई हैं।

PCC चीफ दीपक बैज का हमला—”सरकार ही मृत अवस्था में है”

इस मामले को लेकर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने रमन सिंह सरकार पर सीधा हमला बोला। उन्होंने कहा कि “छत्तीसगढ़ में सरकार खुद मृत नजर आ रही है। यदि सरकार जीवित होती तो जनता के हित में कुछ कदम उठाए जाते।”

दीपक बैज ने कहा कि जगदलपुर जैसे बड़े शहर के भीतर एक अस्पताल का मृत व्यक्ति के नाम पर चलना सीधे-सीधे स्वास्थ्य तंत्र और कानून व्यवस्था की विफलता को दर्शाता है। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा—“स्वास्थ्य व्यवस्था वेंटिलेटर पर है, दस हजार स्कूल बंद हो चुके हैं, युवा बेरोजगार हैं, किसान खाद के लिए भटक रहे हैं और जंगलों की अंधाधुंध कटाई हो रही है। ऐसी सरकार से कुछ उम्मीद करना ही बेमानी है।”

भाजपा का पलटवार—”विपक्ष की मजबूरी में की जा रही बयानबाजी”

कांग्रेस के आरोपों पर पलटवार करते हुए राज्य के स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जयसवाल ने कहा कि दीपक बैज विपक्ष में बैठकर मजबूरी में बयानबाजी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बैज खुद विधायक और सांसद रह चुके हैं, उन्हें मालूम है कि कांग्रेस के शासन में बस्तर की क्या स्थिति थी।

जयसवाल ने आगे कहा, “आज चिंता गुफा जैसे क्षेत्र, जो कभी नक्सलियों का गढ़ हुआ करता था, वहां का अस्पताल भारत सरकार से उच्च गुणवत्ता का प्रमाणपत्र हासिल कर चुका है। मुख्यमंत्री और मंत्रिमंडल लगातार बस्तर के विकास को लेकर दौरे कर रहे हैं।”

हालांकि, स्वास्थ्य मंत्री ने यह भी स्वीकार किया कि मृत व्यक्ति के नाम पर हॉस्पिटल चलाने का मामला गंभीर है, और कहा कि इसकी जांच की जाएगी और नियमों के तहत कार्रवाई होगी।

सिर्फ चालान से पल्ला झाड़ रही है स्वास्थ्य विभाग?

इस मामले की जानकारी करीब एक महीने पहले सामने आई थी, लेकिन अब तक स्वास्थ्य विभाग ने सिर्फ 20 हजार रुपये का चालान काटकर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर दी है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि आज भी यह अस्पताल उसी मृतक के नाम से संचालित हो रहा है, जिसकी मृत्यु प्रमाणित हो चुकी है।

इस लापरवाही ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं—

  • मृत व्यक्ति के नाम से अस्पताल का संचालन कैसे संभव है?
  • प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग क्या कर रहे हैं?
  • क्या यह जनता के स्वास्थ्य और कानून व्यवस्था के साथ खिलवाड़ नहीं है?

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