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मुकेश चंद्राकर हत्या कांड: सियासी आरोप-प्रत्यारोप, भूपेश बघेल ने कहा- घोटाले को उजागर किया तो मिली मौत, साव बोले- जोर-जोर से चिल्लाने से झूठ…

रायपुर। छत्तीसगढ़ के बीजापुर में स्वतंत्र पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या ने प्रदेश की सियासत को गरमा दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उपमुख्यमंत्री अरुण साव के बीच सोशल मीडिया पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज हो गया है।

अरुण साव का पलटवार
उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने अपने सोशल मीडिया ‘एक्स’ अकाउंट से पोस्ट कर कांग्रेस और पूर्व सीएम भूपेश बघेल पर तीखा हमला बोला। उन्होंने लिखा, “जोर-जोर से चिल्लाने से झूठ सच में नहीं बदल जाता। कांग्रेसी ठेकेदार ने जांबाज पत्रकार मुकेश की हत्या की, और कांग्रेस अब उसे बचाने में जुटी है।” उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने मुकेश की रिपोर्ट पर 24 घंटे के भीतर कार्रवाई की थी, लेकिन कांग्रेस इस मामले को हल्केपन की राजनीति में घसीट रही है।

भूपेश बघेल का जवाब
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अरुण साव पर सीधा हमला करते हुए लिखा, “पीडब्ल्यूडी विभाग में बड़े सड़क घोटाले को उजागर करने वाले पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या हुई। अरुण साव इतने ताकतवर हो गए हैं कि उनके विभाग के भ्रष्टाचार को उजागर करने वालों को मौत के घाट उतार दिया जाता है।” उन्होंने इसे राज्य में भाजपा की भ्रष्टाचारी मानसिकता का उदाहरण बताया।

https://x.com/bhupeshbaghel/status/1875436504543326669

मुकेश चंद्राकर का पत्रकारिता सफर और हत्या
स्वतंत्र पत्रकार मुकेश चंद्राकर बस्तर के अंदरूनी इलाकों में निर्भीक पत्रकारिता के लिए जाने जाते थे। उनका यूट्यूब चैनल “बस्तर जंक्शन” काफी लोकप्रिय था, जिसमें डेढ़ लाख से अधिक सब्सक्राइबर थे। 1 जनवरी को लापता होने के बाद 3 जनवरी को उनका शव ठेकेदार सुरेश चंद्राकर के बैडमिंटन कोर्ट के पास बने सेप्टिक टैंक से बरामद हुआ।

तीन आरोपी गिरफ्तार, मुख्य आरोपी फरार
पुलिस ने अब तक तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। मुख्य आरोपी रितेश चंद्रकार को रायपुर एयरपोर्ट से पकड़ा गया, जबकि सुपरवाइजर महेंद्र रामटेके और दिनेश चंद्रकार को बीजापुर से हिरासत में लिया गया है। मुख्य आरोपी ठेकेदार सुरेश चंद्राकर की तलाश के लिए पुलिस ने कई टीमें बनाई हैं और उसकी घेराबंदी की जा रही है।

सियासी आरोपों के बीच न्याय की मांग
यह मामला राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप से घिरा हुआ है, लेकिन प्रदेशभर के पत्रकार न्याय की मांग पर अडिग हैं। मुकेश चंद्राकर की हत्या ने पत्रकारों की सुरक्षा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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