रायपुर एम्स में रैगिंग : जूनियर छात्रों के साथ अमानवीय व्यवहार, कॉलेज प्रशासन पर गंभीर आरोप

रायपुर: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में रैगिंग का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। आरोप है कि MBBS 2023 बैच के छात्रों के साथ अमानवीय व्यवहार करते हुए उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया।

क्या है मामला?

जूनियर छात्रों ने शिकायत की है कि 15-16 नवंबर की रात उन्हें एक छोटे कमरे में बंद कर दिया गया, जहां हवा की कमी के कारण सांस लेना मुश्किल हो गया। इस घटना के दौरान कुछ छात्राएं बेहोश होकर गिर गईं। इसके बाद सीनियर छात्रों ने उन्हें केवल टी-शर्ट पहनकर ठंड में बास्केटबॉल कोर्ट में आने को मजबूर किया।

पीड़ित छात्रों का कहना है कि सीनियरों ने किसी को इस घटना की जानकारी देने पर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी। इस मामले की शिकायत एंटी रैगिंग हेल्पलाइन और संबंधित संस्थाओं को दी गई है, लेकिन अब तक कॉलेज प्रशासन द्वारा इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।

मीरा कौर पटेल ने उठाए कॉलेज प्रशासन पर सवाल

सर्वोच्च न्यायालय की अधिवक्ता और सोसाइटी अगेंस्ट वायलेंस इन एजुकेशन (SAVE) की लीगल हेड मीरा कौर पटेल ने इस घटना की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि उन्हें रायपुर एम्स के एक पीड़ित छात्र का ईमेल मिला, जिसमें रैगिंग के इस भयावह अनुभव को साझा किया गया।

मीरा पटेल ने आरोप लगाया कि रायपुर एम्स प्रशासन इस घटना को गंभीरता से नहीं ले रहा है। शिकायत के बावजूद कॉलेज ने अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है, जो छात्रों की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े करता है।

रैगिंग पर सख्ती की जरूरत

यह मामला एक बार फिर शिक्षण संस्थानों में रैगिंग की समस्या को उजागर करता है। सर्वोच्च न्यायालय और यूजीसी द्वारा रैगिंग पर सख्त निर्देश दिए गए हैं, लेकिन इस घटना से स्पष्ट होता है कि नियमों का पालन सुनिश्चित करने में प्रशासन असफल हो रहा है।

रायपुर एम्स में रैगिंग के इस मामले में छात्रों की सुरक्षा और न्याय सुनिश्चित करने के लिए पुलिस और एंटी रैगिंग कमेटी को तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए। साथ ही, कॉलेज प्रशासन को इस मामले पर गंभीरता दिखाते हुए दोषी सीनियर छात्रों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करनी चाहिए।

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