रायपुर। महिला एवं बाल विकास विभाग अब हर महीने लगभग 25 लाख रुपए और सालाना 3 करोड़ रुपए की बचत करेगा। कारण यह है कि जिले के 483 किराए के भवनों में संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों को अब शासकीय भवनों में शिफ्ट किया जाएगा। विभाग ने इसके लिए गंभीरता से तैयारी शुरू कर दी है।
खाली पड़े शासकीय भवनों के उपयोग के साथ-साथ, नई बिल्डिंग के लिए शासकीय जमीन की तलाश राजस्व अधिकारियों की मदद से की जा रही है। अभी तक 208 खसरा नंबर की जमीन चिन्हांकित की जा चुकी है, जिनमें 150 भवनों के निर्माण के लिए प्रस्ताव तैयार कर संचालनालय को भेजा गया है। स्वीकृति मिलते ही निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा।
कुल 1436 भवनों के निर्माण को स्वीकृति
रायपुर जिले में 1941 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हो रहे हैं। इनमें से 174 शासकीय भवनों, 1284 स्वयं के भवनों, और 483 किराए के भवनों में चल रहे हैं। राज्य शासन से कुल 1436 नए भवनों के निर्माण की स्वीकृति पहले ही मिल चुकी है, लेकिन जमीन चिन्हांकन की प्रक्रिया अभी जारी है।
हर भवन पर आएगा 11.69 लाख रुपए का खर्च
प्रत्येक भवन के निर्माण पर अनुमानित 11 लाख 69 हजार रुपए का खर्च आएगा। ऐसे में 150 भवनों के निर्माण में कुल 17 करोड़ 53 लाख 50 हजार रुपए की लागत आएगी। यह खर्च भले ही एकमुश्त होगा, लेकिन भविष्य में किराया देने से राहत और लाखों की मासिक बचत होगी।
मनरेगा और डीएमएफ फंड से बनेंगे 27 भवन
इसके अलावा मनरेगा और डीएमएफ फंड से 27 अतिरिक्त भवनों का निर्माण किया जाएगा। इनमें आरंग में 10, तिल्दा में 2, अभनपुर में 8 और धरसींवा में 7 भवन शामिल हैं। इसके लिए राशि की स्वीकृति भी मिल चुकी है।
तहसीलवार चिन्हांकित भूमि (208 खसरा नंबर):
- रायपुर-1 : 17
- रायपुर-2 : 59
- धरसींवा : 75
- तिल्दा : 6
- आरंग : 19
- अभनपुर : 32
अधिकारी बोले:
विभागीय अधिकारियों के अनुसार, प्रस्ताव को संचालनालय को भेज दिया गया है और जल्द ही स्वीकृति मिलने की उम्मीद है। इसके बाद निर्माण कार्य युद्धस्तर पर शुरू किया जाएगा, जिससे न केवल किराया खर्च बचेगा बल्कि बच्चों और महिलाओं को बेहतर सुविधाएं भी मिलेंगी।