रायपुर में 150 करोड़ का जमीन घोटाला! चराई भूमि को बनाया प्लॉट, बिना रेरा पंजीयन के शुरू की बिक्री

रायपुर। राजधानी रायपुर में रसूखदारों और अधिकारियों की मिलीभगत से राज्य गठन के बाद का सबसे बड़ा जमीन घोटाला सामने आया है। करीब 150 करोड़ रुपए की जमीन को अवैध तरीके से किसानों के नाम अलॉट कर, फिर कंपनियों के जरिए बेचने का मामला उजागर हुआ है।

जानकारी के मुताबिक, शहर से सटे डोमा गांव (प.ह.नं. 84) की करीब 50 एकड़ जमीन आजादी के बाद से ही घास और चराई भूमि के रूप में दर्ज थी। नियमों के अनुसार, इस तरह की जमीन किसी व्यक्ति या संस्था को निजी स्वामित्व में नहीं दी जा सकती। इसके बावजूद, अधिकारियों ने मनोज यादव समेत कुछ किसानों को यह जमीन अलॉट कर दी।

बाद में किसानों ने यह जमीन स्वास्तिक प्रोजेक्ट्स और रूपी रिसोर्सेस प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनियों को बेच दी। अफसरों की अनदेखी के चलते करोड़ों की यह भूमि इन कंपनियों के नाम दर्ज कर दी गई। इसके बाद, इस जमीन को देश की नामी मल्टीनेशनल कंपनी गोदरेज प्राइवेट लिमिटेड को बेच दिया गया।

चौंकाने वाली बात यह है कि कंपनी ने रेरा (RERA) में प्रोजेक्ट का पंजीयन कराए बिना ही जमीन की प्लॉटिंग और बिक्री शुरू कर दी। जब शिकायत रेरा तक पहुंची, तो जांच के बाद खरीदी-बिक्री पर तुरंत रोक लगा दी गई

रेरा की रिपोर्ट में कहा गया है कि कंपनी की डोमा स्थित लगभग 50 एकड़ भूमि (खसरा नंबर 213/2, 213/125, 15016, 15017/1 आदि) को सोशल मीडिया और विज्ञापनों के माध्यम से लोगों को बेचने का प्रचार किया जा रहा था।

मामले की गंभीरता को देखते हुए रेरा ने जमीन की खरीद-बिक्री पर रोक लगाई और इस प्रोजेक्ट से जुड़े तीन एजेंटों — शशिकांत झा (पुणे), दीक्षा राजौर (मुंबई) और प्रॉपर्टी क्लाउड्स रियल्टी स्पेसिफायर प्राइवेट लिमिटेड (मुंबई) को नोटिस जारी किए गए हैं।

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