रायपुर। छत्तीसगढ़ के समग्र शिक्षा विभाग में बड़े स्तर पर हुए घोटाले को लेकर एनएसयूआई ने गंभीर आरोप लगाए हैं। एनएसयूआई के प्रदेश उपाध्यक्ष अमित शर्मा ने दावा किया है कि विभाग में 70 से 100 करोड़ रुपये तक का घोटाला हुआ है। उन्होंने फर्जी दस्तावेजों के जरिए और 3 से 4 लाख रुपये की रिश्वत लेकर अवैध नियुक्तियों की बात कही है। एनएसयूआई ने इस मामले में आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) से जांच की मांग करते हुए दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की है। यदि सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की, तो 28 जुलाई को समग्र शिक्षा कार्यालय में तालाबंदी करने का ऐलान किया गया है।
भर्ती में फर्जीवाड़े के गंभीर आरोप
एनएसयूआई ने कहा है कि भर्ती प्रक्रिया में न तो मेरिट लिस्ट जारी की गई, न ही आरक्षण रोस्टर का पालन किया गया। एजेंटों के माध्यम से हर नियुक्ति के एवज में 3 से 4 लाख रुपये की वसूली की गई और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर चयन किया गया। चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता का अभाव रहा और सैकड़ों अभ्यर्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया गया।
लल्लूराम डॉट कॉम की रिपोर्ट से उठा मामला
बता दें कि इस कथित घोटाले की जानकारी सबसे पहले लल्लूराम डॉट कॉम की एक रिपोर्ट में सामने आई थी। इस रिपोर्ट के बाद अब एनएसयूआई ने इसे राजनीतिक मंच पर जोरशोर से उठाया है और सरकार से तत्काल जांच की मांग की है।
कोरोना योद्धाओं को भी किया नजरअंदाज
एनएसयूआई ने आरोप लगाया है कि कोविड काल में सेवा देने वाले हेल्थ, नर्सिंग, आईटी और कंप्यूटर ट्रेड के प्रशिक्षित युवाओं को सरकार द्वारा घोषित 10% आरक्षण का लाभ नहीं दिया गया। इसके बावजूद विभाग के पास उनके दस्तावेज और आवेदन उपलब्ध थे। बावजूद इसके, न तो इन्हें प्राथमिकता दी गई और न ही इन पर कोई सुनवाई हुई।
निजी कंपनियों को मिला भर्ती का ठेका
एनएसयूआई का आरोप है कि भर्ती प्रक्रिया को 7 निजी कंपनियों को सौंप दिया गया, जिन्होंने मनमाने तरीके से भर्ती की। बिना परीक्षा, मेरिट सूची या अंक तालिका के, मात्र ₹10 के स्टांप पेपर पर एग्रीमेंट कराकर चयनितों को नियुक्ति दे दी गई। यह प्रक्रिया न केवल अवैध है बल्कि एक सुनियोजित घोटाले की ओर इशारा करती है।
एनएसयूआई की प्रमुख मांगें
एनएसयूआई ने अपनी मांगों में कहा है कि—
- समग्र शिक्षा विभाग की संपूर्ण भर्ती प्रक्रिया तत्काल रद्द की जाए।
- कोविड योद्धाओं को 10% छूट और प्राथमिकता दी जाए।
- सभी चयनितों की मेरिट सूची सार्वजनिक की जाए।
- फर्जी दस्तावेजों की उच्च स्तरीय जांच कर दोषियों पर एफआईआर दर्ज हो।
- EOW और CBI से पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए।
28 जुलाई को तालाबंदी, फिर होगा उग्र आंदोलन
एनएसयूआई ने साफ किया है कि यदि मांगे नहीं मानी गईं, तो 28 जुलाई को समग्र शिक्षा कार्यालय में तालाबंदी की जाएगी और इसके बाद पूरे प्रदेश में उग्र आंदोलन छेड़ा जाएगा। एनएसयूआई ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि समय रहते कार्रवाई नहीं की गई, तो छात्र संगठन सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करेगा और इसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी।