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रायपुर में कमिश्नर सिस्टम 1 नवंबर से? पहला पुलिस-कमिश्नर बनने की रेस में 4 IPS; एडिशनल कमिश्नर पद के लिए भी 4 नाम तय, दिवाली के बाद कैबिनेट में फैसला!

रायपुर (छत्तीसगढ़)। राजधानी रायपुर में पुलिस कमिश्नर (Police Commissionerate) प्रणाली लागू होने का काउंटडाउन शुरू हो गया है। सूत्रों के मुताबिक, गृह विभाग ने सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं और इसे 1 नवंबर, राज्य स्थापना दिवस से लागू करने की प्रबल संभावना है। सबसे बड़ी खबर यह है कि राजधानी के पहले पुलिस कमिश्नर के पद के लिए 4 वरिष्ठ IPS अधिकारियों के नाम अंतिम रेस में हैं, वहीं एडिशनल पुलिस कमिश्नर (APC) के लिए भी 4 दावेदार सामने आए हैं।

माना जा रहा है कि दिवाली के तुरंत बाद होने वाली मुख्यमंत्री विष्णु देव साय कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव पर अंतिम मुहर लग जाएगी।

🔥 कमिश्नर पद के लिए 4 IPS अधिकारी रेस में

उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, रायपुर के पहले पुलिस कमिश्नर की कुर्सी के लिए जिन 4 IPS अधिकारियों के नाम पर अंतिम मंथन चल रहा है, वे हैं:

1. सुंदरराज पी. (2003 बैच)

2. राहुल भगत (2005 बैच)

3. अमरेश मिश्रा (2005 बैच)

4. अजय यादव (2004 बैच)

इनमें से कुछ अधिकारी पहले भी रायपुर में SSP रह चुके हैं और कुछ मुख्यमंत्री के करीबी माने जाते हैं, जिससे प्रतिस्पर्धा बेहद रोमांचक हो गई है।

📌 एडिशनल कमिश्नर (APC) पद पर भी 4 दावेदार

कमिश्नर की तरह ही, एडिशनल पुलिस कमिश्नर (APC) के महत्वपूर्ण पद के लिए भी 4 नाम तय किए गए हैं। इन अधिकारियों को राजधानी की पुलिसिंग में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जाएगी।

कैबिनेट तय करेगी कमिश्नर का ‘रैंक’

ADG प्रदीप गुप्ता की अध्यक्षता में बनी उच्च स्तरीय समिति ने विभिन्न राज्यों की प्रणालियों का अध्ययन कर अपनी रिपोर्ट गृह विभाग को सौंप दी है। इस रिपोर्ट में कमिश्नर की रैंक के लिए तीन विकल्प दिए गए हैं:

1. ADG (अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक) रैंक के अधिकारी को कमिश्नर बनाना।

2. IG (पुलिस महानिरीक्षक) रैंक के अधिकारी को नियुक्त करना।

3. DIG (पुलिस उप महानिरीक्षक) रैंक के अधिकारी को कमिश्नर बनाना।

कैबिनेट बैठक में यह तय किया जाएगा कि राजधानी के पहले कमिश्नर का पद किस रैंक का होगा, जिसके आधार पर ही जॉइंट कमिश्नर, डिप्टी कमिश्नर और एसीपी (ACP) की संख्या तय होगी।

लागू होने से क्या बदलेगा?

कमिश्नर प्रणाली लागू होने से रायपुर पुलिस के पास कलेक्टर जैसे कानूनी अधिकार आ जाएंगे। पुलिस अब कई प्रशासनिक फैसले (जैसे धारा 144, लाइसेंसी शस्त्र, रैली की अनुमति आदि) स्वयं ले सकेगी, जिससे कानून व्यवस्था और अपराध नियंत्रण में तेजी आएगी।

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