रायपुर। रायपुर रेलवे स्टेशन पर यात्रियों की सुविधा के लिए बैटरी चलित वाहन शुरू करने के फैसले का विरोध लगातार बढ़ता जा रहा है। अपनी रोजी-रोटी पर संकट बताते हुए बड़ी संख्या में कुली आज प्लेटफॉर्म नंबर 1 पर इकट्ठा होकर प्रदर्शन करते नजर आए। रेलवे लाइसेंसी पोर्टर्स के बैनर तले हो रहा यह आंदोलन न्याय की मांग को लेकर किया जा रहा है।
प्रदर्शन कर रहे कुलियों का कहना है कि रेलवे में आधुनिकीकरण और निजीकरण की वजह से उनकी आजीविका पर भारी संकट मंडरा रहा है। बढ़ती महंगाई के बीच उनकी सीमित आमदनी परिवार चलाने के लिए पर्याप्त नहीं है। रेलवे द्वारा पहले कुलियों की सामाजिक सुरक्षा के लिए कई प्रावधान किए गए थे, जैसे बच्चों को रेलवे विद्यालयों में मुफ्त शिक्षा, परिवार को निःशुल्क चिकित्सा सुविधा, हर साल चार वर्दियां और आधुनिक विश्रामालय की व्यवस्था। लेकिन जमीनी स्तर पर इनमें से कोई भी सुविधा उन्हें नहीं मिल रही।
कुलियों ने आरोप लगाया कि रायपुर मंडल में पहले से ही उनकी उपस्थिति और बैटरी चालित वाहनों की निःशुल्क सेवा उपलब्ध होने के बावजूद, रेलवे ने सामान ढोने का ठेका एक निजी कंपनी को दे दिया है। यह कंपनी प्रति यात्री 50 रुपये और प्रति लगेज 30 रुपये की दर से वसूली कर रही है। कुलियों का कहना है कि यह सीधे-सीधे उनकी आजीविका पर चोट है।
गौरतलब है कि 22 सितंबर को रेल्वे लाइसेंसी पोर्टर्स मजदूर सहकारी संस्था मर्यादित, रायपुर ने मंडल रेल प्रबंधक को ज्ञापन सौंपा था। तब उन्हें भरोसा दिलाया गया था कि उनके हितों का ध्यान रखा जाएगा। लेकिन कुछ ही घंटों बाद जानकारी मिली कि ठेके की निविदा निरस्त की जा सकती है। कुलियों ने मांग की है कि इस निविदा को तुरंत रद्द किया जाए और उनकी रोजी-रोजगार को बचाया जाए। साथ ही, यदि ऐसा संभव नहीं है तो उन्हें 2003 की तरह रेलवे में समायोजित किया जाए।
इस बीच, कुलियों ने बताया कि अब वे अपनी लड़ाई को और व्यापक करेंगे। इसके लिए वे छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना और जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी के साथ मिलकर आंदोलन की राह पर उतरेंगे। आने वाले दिनों में ज्ञापन, प्रेस वार्ता, धरना और शांतिपूर्ण प्रदर्शन किए जाएंगे।