छत्तीसगढ़: 30 मुस्लिम परिवारों का सामाजिक बहिष्कार, वक्फ बोर्ड ने कार्रवाई का वादा किया

रायपुर। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के फिंगेश्वर और राजिम क्षेत्र में लगभग 30 मुस्लिम परिवारों को समाज से बहिष्कृत कर दिया गया है। इन परिवारों पर कब्रिस्तान, मस्जिद, विवाह समारोह और सामाजिक संबंधों पर पाबंदी लगा दी गई है। पीड़ितों ने गुरुवार को छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड अध्यक्ष डॉ. सलीम राज से मुलाकात कर शिकायत दर्ज कराई और हस्तक्षेप की मांग की।

क्या है मामला?

पीड़ित परिवारों का आरोप है कि नगर गोबरा नयापारा के अल्तमश सिद्दीकी, जो स्वयं को “22 जमात का सदर” बताते हैं, ने पिछले तीन साल से उन पर दबाव बनाकर अपने अधिकार को मनवाने की कोशिश की। जब इन परिवारों ने उन्हें सदर मानने से इनकार कर दिया, तो उन्हें समाज से बहिष्कृत कर दिया गया।

  • प्रतिबंध: कब्रिस्तान में दफनाने, रोटी-बेटी के संबंध, शादी-विवाह और सामूहिक दावतों पर रोक लगा दी गई।
  • झूठा आरोप: अल्तमश ने इन परिवारों पर “शिया समुदाय” से जुड़े होने का झूठा आरोप लगाया, जबकि ये सुन्नी मुस्लिम हैं।
  • धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला: पीड़ितों का कहना है कि मोहर्रम पर ताजियादारी निकालने में भी रोक लगाई जाती है, जो संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है।

वक्फ बोर्ड ने क्या कहा?

वक्फ बोर्ड अध्यक्ष डॉ. सलीम राज ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कहा कि “मुतवल्ली (मस्जिद प्रबंधक) का काम केवल मस्जिद की देखभाल करना है, न कि लोगों को समाज से बाहर करना।” उन्होंने चेतावनी दी कि यदि अल्तमश सिद्दीकी संतोषजनक जवाब नहीं देते हैं, तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी और उन्हें पद से हटाया जा सकता है।

डॉ. राज ने कहा, “इस्लाम शांति का धर्म है। कुछ लोग दाढ़ी-टोपी की आड़ में समाज का नेतृत्व करने का दावा करते हैं, लेकिन उन्हें ऐसा व्यवहार नहीं करना चाहिए। किसी को धर्म से बहिष्कृत करना गलत है।”

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