रायपुर। राजधानी रायपुर में अवैध प्लाटिंग के खिलाफ नगर निगम की बड़ी कार्रवाई सामने आई है। बोरियाखुर्द इलाके में 25 एकड़ में अवैध प्लाटिंग और निर्माण के मामले में नगर निगम अधिकारियों ने वालफोर्ट ग्रुप के मुखिया पंकज लाहोटी और योगेंद्र वर्मा के खिलाफ प्रकरण पुलिस को सौंपा है। यह पहली बार है जब किसी बड़े बिल्डर और कॉलोनाइजर पर सीधे तौर पर निगम ने कार्रवाई की है। हालांकि, पुलिस ने अब तक एफआईआर दर्ज नहीं की है।
छोटे भूमाफिया से बड़े बिल्डर तक
अब तक यह धारणा थी कि अवैध प्लाटिंग में केवल छोटे भूमाफिया शामिल होते हैं, जो किसानों से जमीन खरीदकर प्लॉट काटकर बेचते हैं। लेकिन इस मामले में बड़े बिल्डर का नाम सामने आने के बाद यह साफ हो गया कि यह संगठित अपराध बड़े खिलाड़ियों तक फैला हुआ है।
आंकड़े और हकीकत
नगर निगम ने अब तक 369 प्रकरण पुलिस को सौंपे हैं, लेकिन पिछले पांच वर्षों में केवल 20 मामलों में एफआईआर दर्ज हुई है। एक भी मामला अब तक कोर्ट तक नहीं पहुंचा, जिससे भूमाफियाओं के हौसले बुलंद बने हुए हैं।
रायपुर आउटर के बोरियाखुर्द, डुंडा, भाठागांव, कचना, सड्डू, दलदल सिवनी, हीरापुर-जरवाय, सोनडोंगरी, जोरा, सरोना, राजेंद्र नगर, अमलीडीह, देवपुरी, लालपुर और मठपुरैना जैसे इलाके अवैध प्लाटिंग के लिए बदनाम हो चुके हैं।
क्यों फल-फूल रहा कारोबार?
राजधानी बनने के बाद यूपी, बिहार, झारखंड और अन्य पड़ोसी राज्यों से आए लोगों की बड़ी संख्या ने यहां बसना शुरू किया।
- जीरो पावर कट
- तीनों मौसमों का संतुलित माहौल
- अन्य राज्यों की तुलना में कम अपराध
इन कारणों से दूसरे राज्यों के लोगों को रायपुर बेहद सुविधाजनक लग रहा है। आंकड़ों के मुताबिक, आउटर की अवैध कालोनियों में जमीन खरीदने वालों में 80-85% लोग बाहरी राज्यों से हैं।
वहीं, पुराने रायपुर निवासी आउटर में मकान खरीदने से कतराते हैं।
कानून तो है, शिकंजा नहीं
अवैध प्लाटिंग, छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता, नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम और नगर पालिका अधिनियम के तहत अपराध है। नगर निगम अधिनियम 1956 की धारा 292 के तहत निगम को अवैध प्लाटिंग ध्वस्त करने और अधिग्रहण का अधिकार है।
निगम अधिकारियों के अनुसार, इस अपराध पर एक लाख रुपये तक का जुर्माना और कारावास का प्रावधान है। इसके बावजूद अब तक एक भी भूमाफिया की गिरफ्तारी नहीं हुई है।