रायपुर। मेडिकल कॉलेज मान्यता घोटाले के बाद अब छत्तीसगढ़ में शिक्षा जगत से जुड़ा एक और बड़ा घोटाला सामने आया है। इस बार मामला रावतपुरा सरकार एजुकेशनल इंस्टीट्यूट का है, जहां राज्य के करीब 60 सरकारी इंजीनियरों को बिना नियमित अध्ययन और क्लास अटेंडेंस के एमटेक डिग्री दे दी गई। इन इंजीनियरों ने इस फर्जी डिग्री के आधार पर पदोन्नति और वेतनवृद्धि का लाभ भी उठा लिया।
बिना क्लास अटेंड किए मिली स्नातकोत्तर डिग्री
मिली जानकारी के अनुसार, जल संसाधन, लोक निर्माण (PWD), नगरीय प्रशासन और पीएचई विभाग में कार्यरत इन इंजीनियरों ने बिना पढ़ाई किए स्नातकोत्तर उपाधि हासिल की। एमटेक का यह कोर्स चार सेमेस्टर का है, लेकिन इंजीनियरों ने न तो विभाग से अध्ययन अवकाश लिया और न ही क्लास में उपस्थित हुए। बावजूद इसके, संस्थान ने उनसे मोटी फीस लेकर डिग्री प्रदान कर दी।
फील्ड में नौकरी भी जारी, वेतन भी पूरा
आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि इस दौरान ये इंजीनियर अपनी नियमित ड्यूटी करते रहे और पूरी तनख्वाह भी प्राप्त करते रहे। यानी न तो उनकी नौकरी प्रभावित हुई और न ही पढ़ाई, जबकि हकीकत यह है कि नियमित छात्रों को 75% उपस्थिति अनिवार्य करनी पड़ती है।
वेतन वृद्धि के आवेदन से खुला मामला
यह पूरा मामला तब उजागर हुआ, जब कुछ इंजीनियरों ने एमटेक डिग्री हासिल करने के बाद वेतन वृद्धि के लिए विभाग में आवेदन किया। जांच में पता चला कि उनमें से कई इंजीनियरों को पहले ही दो-दो प्रमोशन और वेतनवृद्धि मिल चुकी है। इस खुलासे के बाद अब पूरे प्रकरण की जांच की मांग तेज हो गई है।
आरटीआई एक्टिविस्ट की शिकायत
आरटीआई एक्टिविस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय सिंह ठाकुर ने इस घोटाले की शिकायत की है। उन्होंने कुलाधिपति को विभागवार इंजीनियरों की सूची सौंपते हुए उनकी डिग्री की वैधता जांचने और वेतनवृद्धि पर रोक लगाने के साथ ही गलत तरीके से दी गई राशि की वसूली की मांग की है।
सीबीआई जांच की मांग
ठाकुर ने आरोप लगाया कि नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाकर डिग्रियां बेची गईं। उन्होंने कहा कि जहां नियमित छात्रों को उपस्थिति पूरी न होने पर दंड झेलना पड़ता है, वहीं यहां इंजीनियरों को बगैर कक्षा में उपस्थित हुए डिग्री दे दी गई। इस मामले में उन्होंने डायरेक्टर सीबीआई को ईमेल भेजकर मेडिकल कॉलेज मान्यता घोटाले की तरह रावतपुरा इंस्टीट्यूट के सभी कोर्सों की भी जांच कराने का अनुरोध किया है।
मंत्रालय के कर्मचारियों की भी संलिप्तता
केवल इंजीनियर ही नहीं, बल्कि राज्य मंत्रालय के कई कर्मचारी भी फर्जी डिग्रियों का लाभ उठा चुके हैं। राज्य गठन के समय अनुभाग अधिकारी और अवर सचिवों में से अधिकांश केवल मैट्रिक पास थे। लेकिन पिछली कांग्रेस सरकार ने पदोन्नति के लिए न्यूनतम योग्यता स्नातक कर दी। इसके बाद बड़ी संख्या में कर्मचारियों ने निजी विश्वविद्यालयों से फटाफट स्नातक डिग्रियां हासिल कर लीं।