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राजस्व निरीक्षक विभागीय परीक्षा घोटाले की जांच रिपोर्ट पर उठे गंभीर सवाल, चयनित अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट का रुख किया

रायपुर। छत्तीसगढ़ में राजस्व निरीक्षक विभागीय परीक्षा घोटाले की जांच के लिए गठित के. डी. कुंजाम कमेटी की निष्पक्षता और गहनता पर अब सवाल खड़े हो रहे हैं। विधानसभा के मानसून सत्र में प्रस्तुत जवाबों और चयनित अभ्यर्थियों के दावों से यह मामला और भी उलझता जा रहा है।

कमेटी की रिपोर्ट और विधानसभा में विरोधाभास
कुंजाम कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया था कि 22 चयनित अभ्यर्थी एक ही परिवार या पारिवारिक संबंध रखने वाले हैं और इन्हें जानबूझकर पास कराने की साजिश हुई। लेकिन विधानसभा में सरकार ने जवाब दिया कि केवल 13 अभ्यर्थी पारिवारिक रूप से संबंधित हैं। यानी दोनों दस्तावेजों में 9 अभ्यर्थियों का अंतर है, जो कमेटी की जांच प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है।

जांच में कथित लापरवाही के आरोप

हाईकोर्ट की टिप्पणी – ‘प्राकृतिक न्याय का पालन हो’
रिपोर्ट के खिलाफ अमित सिन्हा, दरसबती भू आर्य, तुकेश्वर भू आर्य, महेंद्र जैन समेत कई अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। हाईकोर्ट ने टिप्पणी की कि प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का पालन किया जाए, जो स्पष्ट संकेत है कि कमेटी ने सभी पक्षों को समान अवसर नहीं दिया।

प्रमुख विसंगतियां जो जांच के दायरे से बाहर रहीं

विधानसभा में सरकार का जवाब भी विवादों में
विधानसभा के मानसून सत्र में मंत्री टंकराम वर्मा द्वारा दिए गए उत्तर में कहा गया कि अभ्यावेदनों का निराकरण कर दिया गया, जबकि कई अभ्यर्थियों का कहना है कि उन्हें कोई उत्तर तक नहीं मिला

अब तक क्या हुआ?


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