Sawan 2025: सावन का महीना भगवान शिव की भक्ति और आराधना के लिए अत्यंत पावन माना जाता है। इस दौरान शिवभक्त व्रत, उपवास, जलाभिषेक और विशेष पूजन करते हैं। लेकिन पूजा करते समय कुछ मर्यादाओं और नियमों का पालन करना आवश्यक होता है, खासतौर पर फूलों के चयन को लेकर।
शास्त्रों में वर्णित है कि कुछ विशेष फूल ऐसे हैं जिन्हें शिवलिंग पर चढ़ाना वर्जित माना गया है। आइए जानें वे 5 फूल कौन-से हैं जिन्हें भूलकर भी शिवलिंग पर नहीं चढ़ाना चाहिए:
शिवलिंग पर वर्जित फूल (Sawan 2025):
- केतकी का फूल:
केतकी पुष्प को भगवान शिव की पूजा में निषिद्ध माना गया है। कथा अनुसार, इस फूल ने ब्रह्मा जी के झूठ का साथ दिया था, जिससे शिवजी ने इसे अपनी पूजा से वर्जित कर दिया। - तुलसी के पत्ते:
तुलसी माता भगवान विष्णु को समर्पित हैं, इसलिए शिव पूजा में तुलसी पत्र का प्रयोग निषेध है। - चंपा का फूल:
इसकी महक भले ही मधुर हो, लेकिन चंपा की पंखुड़ियों में सूक्ष्म कीटाणु पाए जाते हैं, जिससे इसे अशुद्ध माना गया है। - पलाश का फूल:
अग्नि तत्व का प्रतीक पलाश का फूल शिव की शीतल प्रकृति के विपरीत माना जाता है। - नागकेसर का फूल:
यह फूल अन्य देवी-देवताओं को अर्पित किया जा सकता है, लेकिन शिवलिंग पर इसे चढ़ाना वर्जित है।
ये फूल चढ़ाएं भगवान शिव को (Sawan 2025):
- धतूरा:
यह विषैला फूल शिव के तांडव स्वरूप का प्रतीक है और उन्हें अत्यंत प्रिय है। - आक / अकोड़ा:
इस फूल को सावन में शिवलिंग पर चढ़ाने से विशेष पुण्य फल की प्राप्ति होती है। - बेलपत्र:
त्रिदेवों का प्रतीक बेलपत्र शिवजी को विशेष प्रिय है और इसे जल के साथ अर्पित किया जाता है। - कुशा के फूल:
धार्मिक दृष्टि से पवित्र माने जाने वाले कुशा के फूल शिव पूजा में उपयोग किए जाते हैं। - नीले फूल (नीलकमल/अपराजिता):
नीले रंग के फूल जैसे नीलकमल और अपराजिता भगवान शिव को अत्यंत प्रिय माने जाते हैं।
शिव पूजा में रखें ये सावधानियां:
- पूजा में चढ़ाए जाने वाले फूल ताजे और स्वच्छ होने चाहिए।
- मुरझाए हुए या उल्टे फूल शिवलिंग पर न चढ़ाएं।
- छेद वाला बेलपत्र शिवलिंग पर अर्पित न करें।