CAG ने स्काई वॉक को बताया फिजूलखर्ची, बिजली विभाग को हजारों करोड़ का घाटा

रायपुर। शुक्रवार को जहां एक ओर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी की खबर सुर्खियों में थी, वहीं विधानसभा में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट पेश कर राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में हलचल मचा दी। रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ सरकार की कई योजनाओं और विभागीय कामकाज में भारी अनियमितताएं उजागर हुई हैं।

फिजूलखर्ची निकला रायपुर का स्काई वॉक प्रोजेक्ट
रायपुर में बहुचर्चित स्काई वॉक परियोजना को CAG ने सरकारी संसाधनों की फिजूलखर्ची करार दिया है। रिपोर्ट के अनुसार, इस परियोजना को बिना प्रशासनिक और तकनीकी स्वीकृति के शुरू कर दिया गया था। टेंडर प्रक्रिया में जल्दबाजी की गई, और कंसल्टेंट द्वारा पहली चरण की प्रक्रिया पूरी न होने के बावजूद कार्यादेश जारी कर दिया गया। परियोजना की ड्राइंग और डिजाइन में बार-बार बदलाव किए गए, जिससे लागत बढ़ी और काम अधूरा रह गया।

बिजली विभाग को हुआ 2,157 करोड़ से अधिक का नुकसान
CAG रिपोर्ट में बिजली विभाग की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़े किए गए हैं। वर्ष 2017-18 से 2021-22 के दौरान उपभोक्ताओं को बिजली वितरण के दौरान 9283.38 मिलियन यूनिट (एमयू) ऊर्जा का नुकसान हुआ, जिससे राज्य विद्युत वितरण कंपनी को 2157.15 करोड़ रुपये का राजस्व घाटा हुआ।

खराब मीटरों और सब्सिडी के कारण घाटा
खराब मीटरों को समय पर नहीं बदलने से 1353.60 करोड़ एमयू का नुकसान हुआ। वहीं, 2.65 करोड़ रुपये की कम बिलिंग कर उपभोक्ताओं को अनुचित लाभ पहुंचाया गया। सब्सिडी की प्रतिपूर्ति नहीं होने से कंपनी पर 2163.43 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार पड़ा। मार्च 2022 तक 301.83 करोड़ रुपये की राशि का कोई समाधान नहीं हो पाया।

65 फीसदी युवाओं को ही मिला प्रशिक्षण
राज्य सरकार ने 2022 तक 1.25 करोड़ कार्यशील आबादी को कुशल तकनीशियन के रूप में प्रशिक्षित करने का लक्ष्य रखा था, लेकिन 2014 से 2023 के बीच केवल 4.70 लाख युवाओं (65%) को ही प्रमाणित प्रशिक्षण मिल पाया। प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत तय 17,504 के लक्ष्य के मुकाबले केवल 8,481 (48%) युवा ही परीक्षा पास कर सके और उनमें से भी 3,312 (39%) युवाओं को रोजगार नहीं मिल पाया।

बजट का उपयोग नहीं, करोड़ों की राशि लौटी
वर्ष 2019-20 से 2021-22 के बीच मरम्मत, उपकरण और अन्य मदों के लिए आवंटित 13.58 करोड़ रुपये का उपयोग नहीं किया गया। यह राशि साल के अंत में शासन को लौटा दी गई।

अरपा भैंसाझार परियोजना में भी अनियमितता
CAG रिपोर्ट में अरपा भैंसाझार जल परियोजना पर भी सवाल उठाए गए हैं। परियोजना को बिना पर्यावरण, वन विभाग और केंद्रीय जल आयोग की स्वीकृति के ही शुरू कर दिया गया, जिससे लागत और कार्य क्षेत्र में बदलाव हुआ और परियोजना प्रभावित हुई।

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