हमारे समाज में अभी भी मानसिक स्वास्थ्य को सामाजिक कलंक के रूप में देखा जाता है। कई मामलों में परिवार में भी इलाज के लिए इच्छा शक्ति देखने को नहीं मिलती है। ऐसे मामले अक्सर देखने को मिलते हैं और इनकी वजह से उपचार में देरी से बीमारी और अधिक खराब स्थिति में पहुंच जाती है।