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गिद्धों की टैगिंग: GPS से उड़ान भरेंगे गिद्ध, हर उड़ान पर होगी नजर

छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में स्थित इंद्रावती टाइगर रिजर्व में गिद्धों की टैगिंग की जाएगी। इस पहल के तहत, गिद्धों को टैग और जीपीएस उपकरणों से लैस किया जाएगा, जिससे उनके उड़ान मार्गों, गतिविधियों और स्वास्थ्य की निगरानी करना संभव होगा। यह रिजर्व प्रशासन द्वारा गिद्धों के संरक्षण और उनके पारिस्थितिक महत्व को बेहतर ढंग से समझने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।

गिद्ध प्रकृति के कुशल कचरा साफ करने वाले हैं। वे मृत जानवरों के शवों को खाते हैं, जिससे बीमारियों के फैलने का खतरा कम होता है और पर्यावरण स्वच्छ रहता है। दुर्भाग्य से, इन अद्भुत पक्षियों की संख्या में पिछले कुछ दशकों में तेजी से गिरावट आई है, मुख्य रूप से विषाक्त भोजन के सेवन और आवास के नुकसान के कारण।

इंद्रावती टाइगर रिजर्व में गिद्धों की टैगिंग का उद्देश्य उनकी संख्या, प्रवास मार्गों, और स्वास्थ्य की स्थिति का अध्ययन करना है। यह डेटा वैज्ञानिकों को गिद्धों के सामने आने वाले खतरों को बेहतर ढंग से समझने और उनके संरक्षण के लिए प्रभावी रणनीति विकसित करने में मदद करेगा।

टैगिंग प्रक्रिया में, विशेषज्ञों द्वारा पकड़े गए गिद्धों को हल्के वजन वाले टैग और जीपीएस उपकरणों से लैस किया जाएगा। ये उपकरण गिद्धों की गतिविधियों को ट्रैक करेंगे और वैज्ञानिकों को डेटा प्रसारित करेंगे। टैगिंग प्रक्रिया को यथासंभव कम तनावपूर्ण बनाने के लिए विशेषज्ञों द्वारा सावधानी बरती जाएगी।

इंद्रावती टाइगर रिजर्व में गिद्धों की टैगिंग से कई सकारात्मक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है। यह गिद्धों के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण वैज्ञानिक डेटा प्रदान करेगा, जिससे उनके सामने आने वाले खतरों को कम करने और उनकी संख्या में वृद्धि करने में मदद मिलेगी। इसके अतिरिक्त, यह पहल लोगों में गिद्धों के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने में भी मदद करेगी और उन्हें संरक्षण के प्रयासों में शामिल होने के लिए प्रेरित करेगी।

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