Solar Eclipse 2024 : 8 अप्रैल को साल का पहला सूर्यग्रहण लग रहा है। हालांकि भारत में इसका असर नहीं होगा। इस दिन 52 सालों के बाद इस साल का पहला पूर्ण सूर्यग्रहण पड़ने वाला है। 8 अप्रैल को पड़ने वाले इस सूर्यग्रहण की अवधि 4:25 मिनट की है। इस सूर्य ग्रहण के अगले ही दिन भारत में हिन्दू नया साल और चैत्र नवरात्रि का आरम्भ भी हो रहा है। आठ अप्रैल को लगने वाला सूर्यग्रहण अमेरिका, कनाड़ा, इंग्लैंड, मैक्सिको, आयरलैंड में नजर आएगा। भारतीय समयानुसार सूर्यग्रहण आठ अप्रैल की रात में 9: 12 मिनट पर शुरू होगा। हालांकि इस असर अपने देश में नहीं होगा।
यह पूर्ण सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा और इसलिए भारत के लोगों पर इसका कोई प्रभाव नहीं होगा। इसलिए कोई सूतक काल नहीं होगा। सूतक से जुड़ा कोई नियम नहीं माना जाएगा।
इस बार सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा लेकिन दुनिया के विभिन्न हिस्सों जैसे कनाडा, मैक्सिको, बरमूडा, कैरेबियन नीदरलैंड, कोलंबिया, कोस्टा राइस, क्यूबा, डोमिनिका, ग्रीनलैंड, आयरलैंड, आइसलैंड, जमैका, नॉर्वे में दिखाई देगा। , पनामा, निकारागुआ, रूस, प्यूर्टो रिको, सेंट मार्टिन वेनेज़ुएला, यूनाइटेड किंगडम, बहामास, स्पेन, संयुक्त राज्य अमेरिका और अरूबा और कई अन्य देशों में।
कहा जाता है कि ऐसा सूर्य ग्रहण भारत में साल 1971 में देखा गया था। इस ग्रहण के दौरान चंद्रमा काफी देर तक सूर्य को ढक लेगा और करीब 7.5 मिनट तक आसमान में अंधेरा छाया रहेगा। जिन स्थानों पर यह दिखाई देता है वहां दिन में रात लगने लगेगी।
सूर्य ग्रहण के दौरान क्या करें:
- ग्रहण के बाद गंगाजल से स्नान करें।
- ग्रहण के दौरान सीधे सूर्य को देखने से बचें।
- ग्रहण के दौरान बाहर जाने से बचें।
- ग्रहण के बाद हनुमान जी की उपासना करें।
सूर्य ग्रहण के दौरान क्या न करें:
- ग्रहण के दौरान किसी सुनसान जगह, श्मशान पर अकेले न जाएं।
- ग्रहण के समय सोना नहीं चाहिए और ना ही सूई में धागा लगाना चाहिए।
- ग्रहण के दौरान यात्रा करने से भी बचना चाहिए।
- शारीरिक संबंध बनाना भी मना होता है।
पौराणिक कथा:
हिंदू धर्म में ग्रहण का संबंध राहु और केतु ग्रह से माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान जब देवताओं और राक्षसों में अमृत कलश के लिए युद्ध हुआ था, तब राहु नामक राक्षस ने धोखे से अमृत पी लिया था। भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से उसका सिर धड़ से अलग कर दिया, लेकिन तब तक राहु अमृत पी चुका था।
राहु और केतु का बदला लेने के लिए वे बार-बार सूर्य और चंद्रमा को ग्रहण लगाते हैं।