बैतूल रेलवे स्टेशन का वेटिंग हॉल शादी का मंडप बन गया, जब 10 सालों से कुली का काम कर रही दुर्गा की शादी की रस्में निभाई गईं। रेलवे स्टाफ और समाज सेवियों ने मिलकर दुर्गा की शादी का बीड़ा उठाया और इस अद्भुत क्षण का साक्षी बने।
साल 2011 में बैतूल स्टेशन पर लोगों ने पहली बार एक महिला कुली को देखा, जिसका नाम दुर्गा था। काफी संघर्ष के बाद दुर्गा को अपने पिता की नौकरी मिली थी। लड़की होकर भी उसने पूरी मेहनत से कुली जैसा काम किया और आज भी कर रही है। दुर्गा के माता-पिता और बड़ी बहन की मौत हो चुकी है और बड़ी बहन की बेटी की जिम्मेदारी भी दुर्गा पर आ गई। अपनी भांजी की खातिर दुर्गा ने आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प ले लिया था।
लेकिन किस्मत को कुछ और मंजूर था। RPF और समाज सेवियों ने दुर्गा को शादी के लिए प्रेरित किया। दुर्गा ने भी हामी भरी और रेलवे स्टेशन पर ही उसकी शादी रचाई गई। दुर्गा को दुल्हन के रूप में सजाया गया और उनके दूल्हे को भी रेलवे कर्मचारियों ने तैयार किया। शादी की रस्में RPF और लोगों ने मिलकर निभाईं।
दुर्गा की शादी एक मिसाल बन गई है। यह समाज के उस वर्ग के लिए प्रेरणा है जो सामाजिक बंधनों और रूढ़ियों के कारण शादी नहीं कर पाते हैं। दुर्गा की कहानी हमें सिखाती है कि जीवन में कभी भी हार नहीं माननी चाहिए