बिलासपुर: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा की डिवीजन बेंच ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए आईटीआई के प्रशिक्षण अधिकारियों को सेवा से हटाने के आदेश को अवैध करार दिया है। यह फैसला उन 50 से अधिक प्रशिक्षण अधिकारियों के लिए बड़ी राहत है जिन्हें विभाग ने 8 साल की सेवा के बाद निकाल दिया था।
मामला क्या था?
दरअसल, 2013 में रोजगार और प्रशिक्षण विभाग ने आईटीआई में प्रशिक्षण अधिकारियों के पदों पर भर्ती की थी। इनमें से 50 से अधिक अधिकारियों ने अपनी सेवा अवधि पूरी कर ली थी और स्थायी नियुक्ति की मांग कर रहे थे। लेकिन 2021 में, तकनीकी शिक्षा और रोजगार विभाग ने इन अधिकारियों को यह कहते हुए सेवा से हटा दिया कि उनकी नियुक्ति आरक्षण नियमों का उल्लंघन करते हुए की गई थी।
हाईकोर्ट का फैसला
इन अधिकारियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर अपनी बहाली की मांग की। डिवीजन बेंच ने उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि इन अधिकारियों को 8 साल से अधिक समय तक सेवा में रहने के बाद हटाना गलत है। उन्होंने कहा कि ये अधिकारी संविधान के अनुच्छेद 311 (2) के तहत सुरक्षा के हकदार हैं और उन्हें केवल कारण बताओ नोटिस के आधार पर हटाया नहीं जा सकता। कोर्ट ने यह भी कहा कि विभाग ने इतने सालों बाद इनकी नियुक्ति को अवैध करार देना गलत है।
इस फैसले का महत्व
यह फैसला उन सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए महत्वपूर्ण है जो सेवा में रहते हुए विभागीय कार्रवाई का सामना करते हैं। यह फैसला यह स्पष्ट करता है कि किसी भी सरकारी कर्मचारी को केवल कारण बताओ नोटिस के आधार पर सेवा से नहीं हटाया जा सकता है। उन्हें हटाने के लिए विभाग को उचित प्रक्रिया का पालन करना होगा और उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका देना होगा।
यह फैसला आईटीआई प्रशिक्षण अधिकारियों के लिए भी बड़ी राहत है। उन्हें अपनी नौकरी वापस मिल गई है और वे अब शांति से काम कर सकते हैं।