गर्मी की दस्तक : विदेशी पक्षियों की वतन वापसी

गर्मी की दस्तक के साथ ही ठंड के मौसम में आने वाले विदेशी पक्षियों की वापसी शुरू हो गई है। कई देशों में ठंड शुरू होने के साथ ही पक्षी भारत का रुख करते हैं और तमाम जगहों के साथ ही इन पक्षियों की पसंदीदा जगहों में छत्तीसगढ़ भी शुमार है।

सितंबर के मध्य से जिले की झीलों में डेरा डालने वाले पक्षियों की वापसी मार्च के मध्य से शुरू होती है। इस बीच पक्षियों के आने से झीलों की रौनक बढ़ने के साथ ही बड़ी संख्या में लोग देखने पहुंचते हैं। छह माह के प्रवास के बाद पक्षियों की रवानगी शुरू हो चुकी है। हर साल बड़ी संख्या में विदेशी पक्षियों के आने से शोधकर्ता भी कारण जानने में जुटे हैं।

छत्तीसगढ़ की कई झीलें विदेशी पक्षियों के लिए पसंदीदा जगह हैं। इनमें भिलाई के भेलवा तालाब, रायपुर का गंगरेल तालाब, दुर्ग का भिलाई तालाब, जांजगीर-चांपा का बोरी तालाब, बिलासपुर का अरपा जलाशय और महासमुंद का मड़वार तालाब प्रमुख हैं।

इन झीलों में साइबेरियन क्रेन, पेलिकन, ग्रेलग गूज, नॉर्दर्न पिनटेल, कॉमन पॉचर्ड, कॉमन टील, बार-हेडेड गूज, फ्लेमिंगो, गडवाल, शोवेलर और ब्लैक-नेक्ड क्रेन जैसे पक्षी देखने को मिलते हैं।

विदेशी पक्षियों के आने से इन झीलों की रौनक बढ़ जाती है। लोग इन पक्षियों को देखने के लिए दूर-दूर से आते हैं। पक्षियों के आने से पर्यटन को भी बढ़ावा मिलता है।

शोधकर्ता भी हर साल इन पक्षियों के आने का कारण जानने में जुटे हैं। उनका मानना है कि इन पक्षियों के आने का मुख्य कारण छत्तीसगढ़ की झीलों में मौजूद भोजन और सुरक्षित वातावरण है।

यह निश्चित रूप से एक अद्भुत दृश्य है जब बड़ी संख्या में विदेशी पक्षी छत्तीसगढ़ की झीलों में उड़ते हैं।

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