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भारत के आगे टैरिफ़ वॉर में पीछे हटे ट्रंप! 50% टैरिफ़ घटकर 15% होगा? जल्द हो सकती है बड़ी ट्रेड डील

मीडिया रिपोर्ट्स में दावा- अमेरिका ने भारत पर लगे भारी-भरकम 50% शुल्क को कम करने की तैयारी की; बदले में रूस से तेल खरीद पर बड़ा फैसला

नई दिल्ली। भारत और अमेरिका के बीच चल रहे टैरिफ़ युद्ध (Tariff War) में भारत को बड़ी जीत मिलने के संकेत मिल रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेरिका भारत पर लगाए गए 50% तक के भारी-भरकम आयात शुल्क (Tariff) को घटाकर सिर्फ 15 से 16 प्रतिशत तक लाने पर सहमत हो सकता है। यह कदम तब उठाया जा रहा है, जब भारत ने अमेरिकी दबाव के बावजूद व्यापार वार्ता में अपना कड़ा रुख बनाए रखा था।

यह डील आगामी आसियान शिखर सम्मेलन (ASEAN Summit) में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच हो सकती है।

क्यों लगा था 50% टैरिफ़ और अब क्यों घट रहा?

1. टैरिफ़ बढ़ने का कारण: अमेरिका ने हाल ही में भारत से आयात होने वाली कई वस्तुओं पर 50% तक का दंडात्मक शुल्क (Penal Tariff) लगा दिया था। रिपोर्ट्स के अनुसार, यह टैरिफ़ न केवल व्यापार नीति का हिस्सा था, बल्कि रूस से कच्चे तेल की खरीद को लेकर भी अमेरिका की नाराजगी थी।

2. पीछे हटने की वजह: ट्रेड विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका में खुदरा बाज़ार (Consumer Market) पर 50% टैरिफ़ का नकारात्मक असर पड़ रहा है। दूसरी ओर, भारत ने अपनी राष्ट्रीय ऊर्जा हितों को प्राथमिकता देते हुए अमेरिका के दबाव के आगे घुटने नहीं टेके। इसी मजबूरी के कारण ट्रंप प्रशासन अब भारत को राहत देने के लिए तैयार होता दिख रहा है।

डील में क्या होगा खास? (रिपोर्ट के अनुसार)

रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह व्यापार समझौता मुख्य रूप से दो बड़े क्षेत्रों – ऊर्जा (Energy) और कृषि (Agriculture) पर केंद्रित होगा:

भारत के लिए लाभ (टैरिफ़ में कमी): अमेरिका भारत के कपड़ा, रत्न और आभूषण, इंजीनियरिंग सामान और फार्मा जैसे निर्यात पर शुल्क को 50% से घटाकर 15-16% तक लाएगा। इससे भारतीय निर्यातकों को बहुत बड़ी राहत मिलेगी और भारत की अर्थव्यवस्था को सालाना $25 बिलियन तक का बूस्ट मिल सकता है।

अमेरिका के लिए लाभ (शर्तें): भारत अमेरिका से गैर-आनुवंशिक रूप से संशोधित मक्का (Non-GM Corn) और सोयामील के आयात का कोटा बढ़ा सकता है। साथ ही, भारत रूस से कच्चे तेल के आयात को धीरे-धीरे कम करने के लिए भी सहमत हो सकता है, जो अमेरिकी प्रशासन की एक प्रमुख मांग है।

यह संभावित समझौता दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों को एक नई दिशा देगा और वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती सौदेबाजी की शक्ति (Bargaining Power) को दर्शाएगा।

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