रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने लंबे संघर्ष के बाद 2621 बर्खास्त B.Ed प्रशिक्षित सहायक शिक्षकों को बड़ी राहत दी है। राज्य कैबिनेट ने इन शिक्षकों को अब सहायक शिक्षक (विज्ञान प्रयोगशाला) के पद पर समायोजित करने का ऐलान किया है। इस फैसले से न केवल इन शिक्षकों का भविष्य सुरक्षित हुआ है, बल्कि प्रदेश के स्कूलों में विज्ञान की प्रयोगात्मक शिक्षा को भी बल मिलेगा।
क्या है पूरा मामला?
4 मई 2023 को निकले विज्ञापन में B.Ed डिग्री को मान्य किया गया था। परीक्षा 10 जून को हुई और 2 जुलाई को मेरिट लिस्ट जारी हुई। लेकिन 11 अगस्त 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि B.Ed उम्मीदवारों की नियुक्ति केवल उसी तारीख तक मान्य होगी। इसके बाद शुरू हुई कानूनी और आंदोलन की लंबी लड़ाई।
2 अप्रैल 2024 को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने D.Ed उम्मीदवारों को प्राथमिकता देने का आदेश दिया, और अंततः 10 जनवरी 2025 को B.Ed प्रशिक्षित शिक्षकों की सेवाएं समाप्त कर दी गईं। इससे नाराज शिक्षक राजधानी रायपुर के तूता धरना स्थल पर अनिश्चितकालीन आंदोलन पर बैठ गए।
संघर्ष की गाथा: धरने से दंडवत यात्रा तक
- 14 दिसंबर 2024: अंबिकापुर से रायपुर तक पैदल अनुनय यात्रा
- 22 दिसंबर: धरना स्थल पर ब्लड डोनेशन कैंप
- 26 दिसंबर: सामूहिक मुंडन, महिला शिक्षिकाओं ने भी हिस्सा लिया
- 30 दिसंबर: जल सत्याग्रह करते हुए अटल बिहारी वाजपेयी की तस्वीर लेकर प्रदर्शन
- 1 जनवरी: बीजेपी कार्यालय का घेराव, गिरफ्तारी
- 3 जनवरी: उच्च स्तरीय प्रशासनिक समिति का गठन
- 10 जनवरी: एनसीटीई की शवयात्रा निकालकर विरोध
- 17-18 जनवरी: कांग्रेस नेताओं का समर्थन, मंत्री बंगले का घेराव
- 20 जनवरी: चुनाव आचार संहिता लगने से आंदोलन स्थगित
- मार्च 2025: दांडी मार्च, अर्धनग्न प्रदर्शन, खून से पत्र, राष्ट्रपति से मिलने की कोशिश, पीएम दौरे पर प्रदर्शन
शिक्षकों के जज्बे को मिला सरकार का सम्मान
इन शिक्षकों ने होली तक नहीं मनाई, त्योहारों में घर नहीं गए, रामनवमी पर मंदिरों तक पैदल यात्रा, भगत सिंह-राजगुरु बनकर प्रदर्शन, और चुनरी यात्रा जैसे अनेक अनोखे तरीकों से अपनी मांगें रखीं।
सरकार ने अंततः इन शिक्षकों की दृढ़ इच्छाशक्ति और संघर्ष को सम्मान देते हुए उन्हें विज्ञान प्रयोगशाला सहायक शिक्षक के पद पर समायोजित करने का निर्णय लिया।
शिक्षा और समाज दोनों को लाभ
इस फैसले से जहां हजारों शिक्षकों और उनके परिवारों में खुशी की लहर है, वहीं यह राज्य के शिक्षा तंत्र में भी विज्ञान आधारित शिक्षण को नई ऊर्जा देगा। अब इन शिक्षकों की नियुक्ति न केवल शिक्षकों के संघर्ष की जीत है, बल्कि यह छत्तीसगढ़ सरकार की संवेदनशीलता और शिक्षा के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक भी है।