Ambikapur: सरगुजा जिले के परसा कोल ब्लॉक में गुरुवार सुबह ग्रामीणों और पुलिस के बीच हिंसक झड़प हो गई। यह संघर्ष तब शुरू हुआ जब सैकड़ों ग्रामीणों ने कोयला खदान के लिए हो रही पेड़ों की कटाई का विरोध किया। पुलिस और ग्रामीणों के बीच तीर-धनुष, गुलेल और पत्थरों से हमला हुआ, जिसमें टीआई, एसआई, प्रधान आरक्षक और कोटवार सहित 6 पुलिसकर्मी घायल हो गए। घटना के बाद परसा गांव में तनावपूर्ण माहौल है, और क्षेत्र को छावनी में बदल दिया गया है।
राजस्थान सरकार को आवंटित खदानें और पेड़ों की कटाई
हसदेव अरण्य क्षेत्र की तीन खदानें—परसा ईस्ट केते बासन, परसा, और केते एक्सटेंशन—राजस्थान सरकार को आवंटित की गई हैं, जिनका संचालन अडानी समूह द्वारा किया जा रहा है। इस खदान से निकला कोयला अडानी समूह के बिजली संयंत्रों में इस्तेमाल होता है। खनन के लिए अब परसा क्षेत्र में पेड़ों की कटाई शुरू हो गई है, जिसमें लाखों पेड़ काटे जाएंगे। 2009 में हुई वृक्ष गणना के अनुसार, परसा ईस्ट केते बासन में 2.47 लाख और परसा में 96 हजार पेड़ काटे जाने की योजना है।
छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन का विरोध
छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन इस खनन का कड़ा विरोध कर रहा है। उनका कहना है कि वन और पर्यावरणीय स्वीकृतियां फर्जी दस्तावेजों पर आधारित हैं और इन्हें तुरंत रद्द किया जाना चाहिए। हसदेव अरण्य के जंगलों को मध्य भारत के “फेफड़े” कहा जाता है, जो स्वच्छ जल और वायु प्रदान करते हैं। इन जंगलों को आदिवासियों ने सदियों से सुरक्षित रखा है, जिसके कारण छत्तीसगढ़ के कई शहरों को आज भी पीने का पानी मिल रहा है।