छत्तीसगढ़ में सरकारी राशि के दुरुपयोग का एक बड़ा मामला सामने आया है। बलरामपुर जिले में ग्रामीणों ने आपसी सहयोग और श्रमदान से एक बांध की मरम्मत का काम पूरा किया, लेकिन इसके बावजूद ग्राम पंचायत के सरपंच और सचिव ने इसी कार्य के नाम पर सरकारी खजाने से 2 लाख 50 हजार रुपये निकाल लिए। ग्रामीणों की शिकायत के बाद इस गंभीर भ्रष्टाचार की जांच अब एसडीएम (SDM) ने शुरू कर दी है।
क्या है पूरा मामला?
मामला बलरामपुर जिले के [ग्राम का नाम, यदि पता हो] का है। यहाँ एक महत्वपूर्ण बांध की मरम्मत की सख्त जरूरत थी।
• जनता का श्रमदान: सरकारी मदद में देरी होने पर ग्रामीणों ने खुद पहल की और श्रमदान के साथ-साथ आपसी सहयोग से राशि जुटाकर बांध की मरम्मत का काम पूरा कर लिया। ग्रामीणों के अनुसार, इस काम में लगभग 50 हजार रुपये का खर्च आया।
• पंचायत ने निकाले ₹2.5 लाख: ग्रामीणों के काम पूरा करते ही, पंचायत के सरपंच और सचिव ने सरकारी खजाने से दो किस्तों में 2 लाख 50 हजार रुपये का आहरण (निकासी) कर लिया।
ग्रामीणों के विरोध के बाद खुली पोल
जब ग्रामीणों को इस फर्जीवाड़े की भनक लगी, तो उन्होंने ग्रामसभा की बैठक में इसका कड़ा विरोध किया। जनता के दबाव के सामने सरपंच और सचिव को झुकना पड़ा और उन्होंने निकाली गई राशि में से 50 हजार रुपये ग्रामीणों को वापस कर दिए।
मूल्यांकन पर भी सवाल
इस मामले में सबसे बड़ा सवाल मूल्यांकन प्रक्रिया पर उठ रहा है:
1. जिस काम को ग्रामीणों ने मात्र ₹50 हजार में पूरा किया, आरईएस विभाग के इंजीनियर ने उसका मूल्यांकन ₹2.50 लाख का कैसे कर दिया?
2. यह स्पष्ट रूप से सरकारी राशि के बड़े दुरुपयोग और फर्जी बिलिंग की ओर इशारा करता है।
एसडीएम ने शुरू की जांच
सरकारी खजाने की हेराफेरी और अनियमितता की शिकायत मिलने के बाद एसडीएम ने मामले को गंभीरता से लिया है। उन्होंने जांच शुरू कर दी है और दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की बात कही है। इस घोटाले से पंचायत स्तर पर चल रहे भ्रष्टाचार और सरकारी योजनाओं की निगरानी में लापरवाही उजागर हुई है।