हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने अपने उम्मीदवारों की सूची अब तक जारी नहीं की है, लेकिन राजनीतिक सरगर्मियां तेज होती जा रही हैं। इसी कड़ी में कांग्रेस ने एक बड़ा राजनीतिक दांव चलते हुए हरियाणा के दो प्रमुख रेसलर, विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया, को अपनी पार्टी में शामिल कर लिया है। दोनों रेसलरों ने दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की। यह कदम हरियाणा की राजनीति में एक अहम मोड़ के रूप में देखा जा रहा है, खासकर विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले।
विनेश फोगाट का इस्तीफा और कांग्रेस में प्रवेश
कांग्रेस में शामिल होने से पहले, विनेश फोगाट ने रेलवे की नौकरी से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने अपने इस्तीफे की जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म “एक्स” (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट के माध्यम से साझा की। इस कदम को उनके राजनीतिक प्रवेश के तौर पर देखा जा रहा है। विनेश ने इस्तीफा देने के बाद अपने पोस्ट में कहा कि अब वह राजनीति के अखाड़े में उतर रही हैं और कांग्रेस को उन्होंने अपना राजनीतिक मंच चुना है।
बजरंग पूनिया का कांग्रेस में स्वागत
विनेश फोगाट के साथ ही बजरंग पूनिया ने भी कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की। दोनों पहलवानों ने कांग्रेस में शामिल होते समय पार्टी के महासचिव केसी वेणुगोपाल और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से मुलाकात की। वेणुगोपाल ने इस मौके पर कहा कि विनेश और बजरंग दोनों ने देश का नाम वैश्विक स्तर पर ऊंचा किया है और अब वे राजनीति के जरिए समाज सेवा में अपनी भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं।
मल्लिकार्जुन खरगे की प्रतिक्रिया
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया के साथ एक तस्वीर शेयर की, जिसमें उन्होंने लिखा, “चक दे इंडिया, चक दे हरियाणा!” उन्होंने कहा कि इन दोनों चैंपियनों ने दुनिया में भारत का नाम रोशन किया है, और अब वे हरियाणा की जनता की सेवा करने के लिए राजनीति में कदम रख रहे हैं। खरगे ने कहा कि हमें विनेश और बजरंग पर गर्व है और हम उनके कांग्रेस में शामिल होने का स्वागत करते हैं।
विनेश और बजरंग का कांग्रेस में शामिल होना
केसी वेणुगोपाल ने विनेश की व्यक्तिगत संघर्षों की तारीफ की। उन्होंने बताया कि जब विनेश केवल 9 साल की थी, तब उन्होंने अपने पिता को खो दिया था। बावजूद इसके, विनेश ने अपने कठिन संघर्षों के जरिए अपने करियर में असीम ऊंचाइयों को छुआ। वेणुगोपाल ने कहा कि विनेश और बजरंग ने अपने जीवन में कई चुनौतियों का सामना किया और उनके राजनीतिक निर्णय कांग्रेस की विश्वसनीयता पर उनके विश्वास को दर्शाते हैं।
पहलवानों का बीजेपी से मोहभंग
विनेश और बजरंग, दोनों ने 2023 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता और भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के तत्कालीन अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों को लेकर हुए विरोध प्रदर्शनों में भाग लिया था। यह प्रदर्शन देशभर में चर्चा का विषय बना था और इसके कारण इन दोनों पहलवानों का भाजपा से मोहभंग हो गया।
हरियाणा विधानसभा चुनाव की पृष्ठभूमि
हरियाणा की राजनीति में यह देखा जा रहा है कि कांग्रेस ने इन दोनों पहलवानों को अपने पाले में लाकर एक मजबूत चुनावी दांव खेला है। हरियाणा में कुल 90 विधानसभा सीटों पर चुनाव होने हैं, जिनका मतदान 5 अक्टूबर 2024 को होगा और वोटों की गिनती 8 अक्टूबर 2024 को होगी।
चुनावी रणनीति में पहलवानों की भूमिका
सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस इन दोनों पहलवानों को विधानसभा चुनाव में टिकट दे सकती है। हालांकि, अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि विनेश और बजरंग किस सीट से चुनाव लड़ेंगे। हरियाणा कांग्रेस के प्रभारी ने इस संदर्भ में कहा कि दोनों पहलवानों का खेल जगत में उल्लेखनीय योगदान रहा है, और अब वे राजनीति के क्षेत्र में अपनी भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं।
कांग्रेस की रणनीति
विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया का कांग्रेस में शामिल होना हरियाणा के चुनावी समीकरणों को बदल सकता है। कांग्रेस को उम्मीद है कि इन दोनों पहलवानों की लोकप्रियता का फायदा उसे चुनावों में मिलेगा। खासकर ग्रामीण और खेल समुदाय से जुड़े मतदाताओं के बीच इनकी लोकप्रियता कांग्रेस के पक्ष में जा सकती है।
बीजेपी की स्थिति
विनेश और बजरंग का भाजपा से नाराज होना और कांग्रेस में शामिल होना बीजेपी के लिए एक झटका माना जा रहा है। दोनों पहलवानों ने बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ जो स्टैंड लिया था, वह बीजेपी के लिए असहज स्थिति पैदा कर चुका है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी इस चुनौती का सामना कैसे करती है और क्या वह इस स्थिति को संभालने में सफल हो पाएगी या नहीं।
हरियाणा की राजनीति में नए समीकरण
विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया का राजनीति में प्रवेश हरियाणा की राजनीति को एक नया आयाम देता है। इनकी खेल जगत में लोकप्रियता और संघर्षशील व्यक्तित्व ने इन्हें न केवल हरियाणा बल्कि पूरे देश में एक पहचान दिलाई है। अब यह देखना बाकी है कि राजनीति में इनका यह सफर कितना सफल रहता है और क्या कांग्रेस इन्हें सही राजनीतिक मंच प्रदान कर पाती है।