जिसे समझा खंडहर… वह निकला प्राचीन राम मंदिर, पुरातत्व टीम ने खोला राज

बुंदेलखंड की धरती सचमुच प्राचीन धरोहरों का खजाना है। राजा-महाराजाओं के दौर के किले, मंदिर, गढ़ियां, झरने और तालाब आज भी यहां मौजूद हैं, जो हमारे गौरवशाली इतिहास की गवाही देते हैं।

इनमें से एक महत्वपूर्ण मंदिर दमोह के नोहटा उपतहसील के बनवार गांव से लगभग 8 किलोमीटर दूर मुआर गांव में स्थित है। यह राम मंदिर 16वीं-17वीं शताब्दी का बताया जाता है। मंदिर की खास बात यह है कि यह जीर्ण-शीर्ण अवस्था में होने के बावजूद भी अपनी भव्यता और कलाकारी को दर्शाता है।

हाल ही में, भोपाल से पुरातत्व विभाग की एक टीम ने इस मंदिर का दौरा किया और इसे संरक्षित करने की योजना बनाई है। यह एक स्वागत योग्य कदम है, क्योंकि इस तरह के ऐतिहासिक मंदिरों को संरक्षित करना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है।

यह मंदिर न केवल अपनी धार्मिक महत्व के कारण, बल्कि अपनी कलाकारी और वास्तुकला के कारण भी महत्वपूर्ण है। मंदिर में भगवान राम, सीता और लक्ष्मण की मूर्तियां स्थापित हैं। मंदिर की दीवारों पर रामायण की विभिन्न घटनाओं को दर्शाया गया है।

पुरातत्व विभाग की टीम ने मंदिर का निरीक्षण किया और इसकी मरम्मत और संरक्षण के लिए योजना बनाई। योजना में मंदिर की दीवारों और छत की मरम्मत, मूर्तियों की सफाई और संरक्षण, और मंदिर परिसर की सफाई और सुंदरीकरण शामिल हैं।

यह योजना मंदिर को संरक्षित करने और इसे आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रखने में मदद करेगी। यह बुंदेलखंड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

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