दिल्ली के रहने वाले विकास ने एक अद्भुत उपलब्धि हासिल की है। गाजियाबाद के प्रताप विहार स्थित बैंक ऑफ़ इंडिया (Bank of India) शाखा में बतौर क्लर्क तैनात विकास ने यह साबित कर दिया है कि दृष्टिबाधित होने के बावजूद भी सफलता प्राप्त की जा सकती है।
विकास बचपन में 4 वर्ष की आयु से ही दृष्टि खो चुके थे, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। अपने जीवन को संवारने के लिए वे लगातार प्रयास करते रहे। अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और कड़ी मेहनत के बल पर उन्होंने बैंक क्लर्क की परीक्षा पास की और आज वे एक सफल बैंक कर्मचारी हैं।
विकास का जीवन हमें प्रेरणा देता है कि हमें कभी भी हार नहीं माननी चाहिए। चाहे कितनी भी मुश्किलें क्यों न हों, हमें अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रयास करते रहना चाहिए।
विकास की कहानी उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा है जो किसी भी प्रकार की विकलांगता से पीड़ित हैं। यह हमें सिखाती है कि विकलांगता सफलता की राह में बाधा नहीं बन सकती।