छत्तीसगढ़ में जनविश्वास विधेयक पारित: छोटे उल्लंघनों पर अब नहीं होगा आपराधिक केस, केवल जुर्माना

रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र के अंतिम दिन जनविश्वास विधेयक ध्वनिमत से पारित हो गया। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इसे “विकसित भारत-विकसित छत्तीसगढ़” की दिशा में एक बड़ा कदम बताया। उन्होंने कहा कि यह विधेयक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लाए गए भारतीय न्याय संहिता की तर्ज पर तैयार किया गया है। इसके साथ ही छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश के बाद दूसरा राज्य बन गया है जिसने यह विधेयक पारित किया है।

मुख्यमंत्री साय ने बताया कि जनविश्वास विधेयक का मकसद राज्य में व्यापार और रोजगार को आसान बनाना है। साथ ही, यह गैर-अपराधिक श्रेणी के मामूली तकनीकी उल्लंघनों पर अदालतों में मुकदमेबाजी की बजाय केवल जुर्माना लगाने की व्यवस्था करता है। इससे व्यापारियों और आम नागरिकों को बड़ी राहत मिलेगी और न्यायिक व्यवस्था पर से अनावश्यक बोझ भी कम होगा।

क्या है विधेयक की खास बातें?

  • छोटे-मोटे तकनीकी उल्लंघनों को अब आपराधिक दायरे से हटाकर शास्ति (जुर्माना) में बदला गया है।
  • नगरीय प्रशासन, नगर एवं ग्राम निवेश, सोसायटी रजिस्ट्रेशन, औद्योगिक संबंध और सहकारी सोसायटी जैसे 8 अधिनियमों के 163 प्रावधानों में संशोधन किया गया है।
  • छत्तीसगढ़ आबकारी अधिनियम, 1915 में बदलाव: सार्वजनिक स्थल पर पहली बार शराब सेवन पर केवल जुर्माना, दोहराव पर जुर्माना और कारावास दोनों।
  • मकान मालिक द्वारा किराया वृद्धि की सूचना नहीं देने पर अब आपराधिक कार्रवाई की जगह अधिकतम ₹1,000 का जुर्माना।
  • सोसायटी द्वारा वार्षिक रिपोर्ट जमा करने में देरी पर अब केवल मामूली आर्थिक दंड, खासकर महिला समूहों के लिए यह न्यूनतम रखा गया है।
  • ‘सहकारी’ शब्द का अनजाने में उपयोग करने पर अब आपराधिक मुकदमा नहीं, केवल प्रशासनिक आर्थिक दंड लगेगा।

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