बिलासपुर, छत्तीसगढ़: छत्तीसगढ़ के बेमेतरा में हाल ही में हुए बारूद फैक्ट्री विस्फोट (जिसमें कई लोगों की मौत हुई थी) से सबक न लेते हुए, बिलासपुर शहर के रिहायशी इलाकों और आसपास के क्षेत्रों में कई पटाखा फैक्ट्रियां और गोदाम अब भी बगैर पर्याप्त सुरक्षा मानकों के संचालित हो रहे हैं। ख़बरों के मुताबिक, इन खतरनाक इकाइयों में नौसिखिए (बिना प्रशिक्षण वाले) मजदूरों से बारूद मिलाना और पटाखे बनवाना जैसे अति-संवेदनशील काम कराए जा रहे हैं, जो शहर को एक बड़े खतरे के मुहाने पर खड़ा कर रहा है।
खतरे की प्रमुख वजहें:
- सुरक्षा नियमों की अनदेखी: पटाखा निर्माण और बारूद भंडारण के लिए बनाए गए सख्त सुरक्षा नियमों का खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है।
- नौसिखिए मजदूर: प्रशिक्षित कर्मचारियों की जगह सस्ते में नौसिखिए मजदूरों से ‘बम’ बनाने का काम लिया जा रहा है, जिससे मामूली चूक भी भयानक हादसे का कारण बन सकती है।
- रिहायशी इलाकों में संचालन: शहर के तंग गलियों और घनी आबादी वाले क्षेत्रों में ये अवैध गोदाम और फैक्ट्रियां चल रही हैं, जहाँ आग लगने की स्थिति में दमकल की गाड़ियों का पहुँचना भी मुश्किल होता है।
- प्रशासनिक लापरवाही: बेमेतरा हादसे के बाद भी स्थानीय प्रशासन द्वारा ऐसी अवैध और असुरक्षित इकाइयों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है, जिससे यह खतरा लगातार बना हुआ है।
सूत्रों के अनुसार, बिलासपुर में कई रिहायशी इलाके बारूद के ढेर पर बैठे हुए हैं। स्थानीय निवासियों ने चिंता व्यक्त की है कि यदि जरा सी भी चिंगारी किसी बड़ी दुर्घटना का कारण बनी, तो जान-माल का बड़ा नुकसान हो सकता है। प्रशासन को तुरंत इन इकाइयों की जाँच कर, अवैध रूप से संचालित हो रही फैक्ट्रियों और गोदामों को बंद करने की सख्त आवश्यकता है।