रायपुर। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित नान घोटाला मामले में पूर्व आईएएस अधिकारी आलोक शुक्ला ने ईडी कोर्ट में सरेंडर कर दिया। गुरुवार सुबह सुप्रीम कोर्ट से जमानत याचिका खारिज होने के बाद ईडी की टीम ने भिलाई स्थित उनके घर में दबिश दी थी। गिरफ्तारी से बचने के लिए शुक्ला ने कोर्ट में सरेंडर किया।
सुप्रीम कोर्ट से झटका
नान घोटाले में आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा को पहले हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत मिली थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच (जस्टिस सुंदरेश और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा) ने जमानत खारिज कर दी। आदेश के अनुसार, दोनों अधिकारियों को पहले दो हफ्ते ईडी की कस्टडी और फिर दो हफ्ते न्यायिक हिरासत में रहना होगा। इसके बाद ही उन्हें जमानत मिल सकेगी। अदालत ने यह भी कहा कि आरोपियों ने 2015 में दर्ज मामले और ईडी की जांच को प्रभावित करने की कोशिश की थी।
भूपेश सरकार में मिली ताकतवर पोस्टिंग
2015 में जब नान घोटाला सामने आया, तब आलोक शुक्ला खाद्य विभाग के सचिव थे। ईओडब्ल्यू ने उनके खिलाफ चार्जशीट पेश की थी। हालांकि 2019 में हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद शुक्ला और टुटेजा को भूपेश बघेल सरकार में पॉवरफुल पदों पर तैनाती मिली। इसी दौरान जांच को प्रभावित करने के आरोप लगे। इस मामले में पूर्व महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा पर भी एफआईआर हुई थी, जिन्हें बाद में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई।
क्या है नान घोटाला?
फरवरी 2015 में ACB/EOW ने नागरिक आपूर्ति निगम (NAN) के 25 परिसरों पर छापे मारे थे। छापों में 3.64 करोड़ रुपये नकद जब्त हुए। जांच में पाया गया कि मिलों से घटिया चावल और नमक लिया गया और इसके बदले करोड़ों की रिश्वत ली गई। भंडारण और परिवहन में भी भ्रष्टाचार हुआ। शुरुआत में शिवशंकर भट्ट समेत 27 लोगों पर केस दर्ज हुआ और बाद में निगम के चेयरमैन, एमडी और दो IAS अफसरों के नाम भी आरोपियों में शामिल हो गए। मामला फिलहाल अदालत में लंबित है।